महात्मा गांधी को नाथूराम गोडसे ने नहीं मारा, सड़क हादसे में हुई थी मौत...! जानें कैसे और कहां
ओड़िशा में महात्मा गांधी की मौत के लिए नाथूराम गोडसे को कतई जिम्मेदार नहीं माना गया. इसके उलट यह बताने की कोशिश की गई कि महात्मा गांधी की मौत 30 जनवरी 1948 को दुर्घटनावश हुई थी. इसके बाद तो हंगामा खड़ा हो गया.
highlights
- 'आमा बापूजीः एका झलका (ऑर बापूजीः ए ग्लिम्प्स)' बुकलेट से खड़ा हुआ पूरा विवाद.
- राज्य सरकार ने दिए जांच के आदेश कि कैसे महात्मा गांधी की मौत को दुर्घटनावश बताया गया.
- शिक्षाविदों और बुद्धिजीवियों के रोष के बाद बुकलेट वापस ले दिए गए जांच के आदेश.
New Delhi:
आज ही के दिन महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) के हत्यारे नाथूराम गोडसे (Nathuram Godse) को फांसी दी गई थी. यह अलग बात है कि ओड़िशा में महात्मा गांधी की मौत के लिए नाथूराम गोडसे को कतई जिम्मेदार नहीं माना गया. इसके उलट यह बताने की कोशिश की गई कि महात्मा गांधी की मौत 30 जनवरी 1948 को दुर्घटनावश हुई थी. इसके बाद तो हंगामा खड़ा हो गया. बुद्धिजीवियों (Intellectuals) समेत शिक्षाविदों ने राज्य शिक्षा विभाग को ही कठघरे में खड़ा कर दिया. गौरतलब है कि इससे पहले गुजरात के एक स्कूल में परीक्षा के दौरान सवाल पूछा गया था कि महात्मा गांधी ने आत्महत्या कैसे की?
यह भी पढ़ेंः महाराष्ट्र में सरकार को लेकर बन गई बात, शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के नेता कल राज्यपाल से करेंगे मुलाकात
राज्य सरकार ने दिए जांच के आदेश
जाहिर है हंगामा बढ़ता देख ओड़िशा सरकार (Odisha Government) ने पूरे प्रकरण की जांच के आदेश दे दिए हैं. राज्य स्कूल और समग्र शिक्षा मंत्री समीर रंजन दाश मुंशी ने कहा है कि जिसकी भी गलती से ऐसा हुआ है, उसे उसके अंजाम तक पहुंचाया जाएगा. बजाय यह लिखने के महात्मा गांधी की मौत दुर्घटनावश हुई थी. साफ-साफ लिखा जाना चाहिए था कि उन्हें नाथूराम गोडसे ने गोली मारी थी. राज्य सरकार ने विवादास्पद बुकलेट (Booklet) वापस लेने के आदेश जारी कर दिए हैं. वास्तव में यह बड़ी गलती 'आमा बापूजीः एका झलका (ऑर बापूजीः ए ग्लिम्प्स)' नाम से छापी गई एक दो पेज की बुकलेट में सामने आई है. इसके बाद ही सारा विवाद खड़ा हुआ.
यह भी पढ़ेंः 18 नवंबर से शुरू होगा संसद का शीतकालीन सत्र, स्पीकर और सरकार ने बुलाई सर्वदलीय बैठक
बुद्धिजीवियों ने जताया रोष
सिर्फ शिक्षाविद (Educationist) ही नहीं, बल्कि अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़े बुद्धिजीवियों ने भी गलत इतिहास परोसने पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई. प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता प्रफुल्ल सामांत्रा ने तो यहां तक कह दिया कि ऐसा लगता है कि नाथूराम गोडसे से दिली लगाव रखने वाले किसी शख्स ने ही बुकलेट का प्रकाशन किया है. बारगढ़ की गांधी मेमोरियल लाइब्रेरी (Gandhi Memorial Library) के सचिव मनोरंजन साहू का आरोप है कि बुकलेट के जरिये सच को छिपाने की कोशिश की गई. समाजवादी पत्रिका 'समदृष्टि' के संपादक सुधीर पटनायक ने तो इसे शिक्षा का भगवाकरण करार दिया. गौरतलब है कि बीते माह गुजरात में भी ऐसा ही एक विवाद खड़ा हो गया था, जब एक स्कूली परीक्षा के दौरान कक्षा 9 के विद्यार्थियों से पूछा गया था कि महात्मा गांधी ने आत्महत्या कैसे की?
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Akshaya Tritiya 2024: 10 मई को चरम पर होंगे सोने-चांदी के रेट, ये है बड़ी वजह
-
Abrahamic Religion: दुनिया का सबसे नया धर्म अब्राहमी, जानें इसकी विशेषताएं और विवाद
-
Peeli Sarso Ke Totke: पीली सरसों के ये 5 टोटके आपको बनाएंगे मालामाल, आर्थिक तंगी होगी दूर
-
Maa Lakshmi Mantra: ये हैं मां लक्ष्मी के 5 चमत्कारी मंत्र, जपते ही सिद्ध हो जाते हैं सारे कार्य