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तमिलनाडु का सीएम कौन, शशिकला या पन्नीरसेल्वम? राज्यपाल विद्यासागर राव लेंगे अंतिम फ़ैसला

राज्यपाल सी विद्यासागर राव के चेन्नई पहुंचने पर कार्यवाहक मुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेल्वम और वी के शशिकला ने राज्यपाल सी वि्दयासागर राव से मुलाकात कर अपने पास बहुमत होने का दावा पेश किया है।

Updated on: 10 Feb 2017, 09:50 AM

नई दिल्ली:

तमिलनाडु में बढ़ रहे राजनीतिक संकट के बीच राज्यपाल सी विद्यासागर राव के चेन्नई पहुंचने पर कार्यवाहक मुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेल्वम और वी के शशिकला ने राज्यपाल सी वि्दयासागर राव से मुलाकात कर अपने पास बहुमत होने का दावा पेश किया है। दोनों की मुलाकात के बाद राज्यपाल इस मसले पर कानूनी सलाह लेकर फैसला देंगे। ऐसा माना जा रहा है कि राज्यपाल विधानसभा में बहुमत सिद्ध करने का निर्देश दे सकते हैं।

रविवार को एआईएडीएमके विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद ऐसा लगने लगा था कि वी के शशिकला नटराजन के मुख्यमंत्री बनने का रास्ता साफ़ हो गया है। लेकिन मंगलवार रात को कार्यवाहक मुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेल्वम के बगावत के कारण राज्य में राजनीतिक संकट गहरा गया।

संविधान के जानकार सुभाष कश्यप के अनुसार दोनों के दावे के बाद इस राजनीतिक संकट को खत्म करने के लिये राज्यपाल तीन विकल्प हैं।  

1. दोनों के दावों के बाद यदि बहुमत सिद्ध करने की स्थिति उभरती है तो राज्यपाल को दोनों में से किसी एक को दोबारा शपथ दिलवाना ही पड़ेगा। इसकी वजह यह है कि पन्नीरसेल्वम का इस्तीफा मंज़ूर किया जा चुका है और उससे वापस नहीं लिया जा सकता है। लेकिन किसी एक को भी बुलाने से पहले राज्यपाल को सदन और राज्य की जनता को विश्वास दिलाना होगा कि बहुमत किसके पास है और जिसके पास बहुमत होगा उसे ही सरकार बनाने के लिये निमंत्रित करें।

इधर ओ पन्नीरसेल्वम ने कहा है कि शशिकला का पार्टी का महासचिव बनना भी गैर कानूनी है। ऐसे में मामला पेचीदा होता नज़र आ रहा है।

2. राज्यपाल पन्नीरसेल्वम को तीन-चार दिन तक कार्यवाहक मुख्यमंत्री बने रहने दें और भ्रष्टाचार के मामले में शशिकला पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतज़ार करें। ऐसी स्थिति में यदि पन्नीरसेल्वम के पास बहुमत नहीं होगा तो किसी और को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है या फिर राज्यपाल राष्ट्रपति शासन की सिफारिश भी कर सकते हैं.

3. यदि दोनों ही दावा पेश कर रहे हैं और स्थिति स्पष्ट नहीं हो पा रही है तो ऐसे में राज्यपाल सदन को ही अपना नेता चुनने का निर्देश दे सकते हैं। इस तरह की स्थिति उत्तर प्रदेश में करीब 18 साल पहले हुई थी। जब 21-22 फरवरी 1998 को कल्याण सिंह को मुख्यमंत्री के पद से हटाकर जगदंबिका पाल रातों-रात राज्य के मुख्यमंत्री बने थे। दोनों ही सदन में बहुमत होने का दावा पेश कर रहे थे। तब राज्य के राज्यपाल रोमेश भंडारी ने सदन को अपना नेता चुनने का निर्देश दिया था।

राज्यपाल सी विद्यासागर राव महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं और पिछले साल सितंबर में के रोसैया का कार्यकाल पूरा होने के बाद उन्हें तमिलनाडु के राज्यपाल की अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपी गई थी।

शाम पांच बजे ओ पनीरसेल्वम ने राज्यपाल से मुलाकात कर कहा कि उनपर इस्तीफा देने का दबाव बनाया गया था।

ओ. पन्नीरसेल्वम की बगावत के बाद पार्टी की महासचिव शशिकला ने बुधवार को कहा कि पार्टी के साथ धोखा देने वाले को बख्‍शा नहीं जाएगा। पन्नीरसेल्वम डीएमके के इशारे पर काम कर रहे हैं।