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राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा, नोटबंदी से थोड़े समय के लिए मंदी लेकिन तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था

68वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने देशवासियों को बधाई दी।

Updated on: 26 Jan 2017, 07:29 AM

New Delhi:

68वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने देशवासियों को बधाई दी। राष्ट्रपति ने कहा कि वैश्विक चुनौतियों के बावजूद देश की अर्थव्यवस्था शानदार तरीके से आगे बढ़ी है।

मुखर्जी ने कहा, 'जब देश 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ था, तब हमारे पास शासन चलाए जाने के साधन नहीं थे। इसके लिए हमने 26 जनवरी 1950 तक का इंतजार किया। जब देश के लोगों ने खुद को संविधान से नवाजा। हमने बंधुता और देश के भीतर एकता को बढ़ावा दिया। इसी दिन हम दुनिया के सबसे बड़े गणतंत्र बने।'

नोटबंदी से कुछ समय के लिए आई मंदी 

नोटबंदी को लेकर प्रणब मुखर्जी ने कहा कि इससे कुछ समय के मंदी आई है। हालांकि, इसके बावजूद देश की अर्थव्यवस्था दुनिया में सबसे तेज गति से आगे बढ़ रही है। इसके साथ ही राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने देश में विधानसभा और लोकसभा चुनावों को एक साथ कराए जाने की बात कही।

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भारत सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत दुनिया में सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है। उन्होंने कहा, 'भारत के पास दुनिया की तीसरी बड़ी आर्मी है। कभी हम खाने की जरूरतों के लिए पूरी तरह से आयात पर निर्भर थे, लेकिन अब हम दुनिया के अग्रणी अनाज निर्यातकों में से एक हैं।' प्रणब मुखर्जी ने कहा कि साल 1951 के मुकाबले आज भारत वैज्ञानिक और तकनीकी जनशक्ति के दूसरे सबसे बड़े भंडार, तीसरी सबसे विशाल सेना, परमाणु समूह के छठे सदस्य, अंतरिक्ष की दौड़ में शामिल छठे सदस्य के साथ ही दसवीं सबसे बड़ी औद्योगिक शक्ति है।

प्रति व्यक्ति आय में 10 गुना हुई वृद्धि

मुखर्जी ने कहा, '1951 में 36 करोड़ की आबादी की तुलना में अब हम 1.3 अरब आबादी वाले एक मजबूत राष्ट्र हैं। आज प्रति व्यक्ति आय में 10 गुना वृद्धि हुई है। गरीबी अनुपात में दो-तिहाई की गिरावट आई है। आज हम विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था हैं। एक निवल खाद्यान्न आयातक देश से भारत अब खाद्य वस्तुओं का एक अग्रणी निर्यातक बन गया है। अब तक की यात्रा घटनाओं से भरपूर, कभी-कभी कष्टप्रद, लेकिन अधिकांश समय आनंददायक रही है।'

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सैनिकों-सुरक्षाकर्मियों को श्रद्धांजलि अर्पित की

राष्ट्रपति मुखर्जी ने कहा, 'हमारे संस्थापकों की निर्मित लोकतंत्र की मजबूत संस्थाओं को यह श्रेय जाता है कि पिछले साढ़े छह दशकों से भारतीय लोकतंत्र अशांति से ग्रस्त क्षेत्र में स्थिरता का मरुद्यान रहा है। राष्ट्र के संस्थापकों ने बुद्धिमत्ता-सजगता के साथ भारी क्षेत्रीय असंतुलन और बुनियादी आवश्यकताओं से भी वंचित विशाल नागरिक वर्ग वाली एक गरीब अर्थव्यवस्था की तकलीफों से गुजरते हुए नए राष्ट्र को आगे बढ़ाया।' उन्होंने कहा, 'मैं उन वीर सैनिकों और सुरक्षाकर्मियों को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं, जिन्होंने भारत की क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया।'

2022 तक 30 करोड़ युवा होंगे कौशलयुक्त

राष्ट्रपति ने कहा कि डिजिटल भारत कार्यक्रम डिजिटल ढांचे के सर्वव्यापक प्रावधान और नकदीरहित आर्थिक लेन-देन साधनों की मदद से एक ज्ञानपूर्ण अर्थव्यवस्था का निर्माण कर रहा है। स्टार्ट-अप इंडिया और अटल नवाचार मिशन जैसी पहलें नवाचार और नए युग की उद्यमिता को प्रोत्साहन दे रही हैं। कौशल भारत पहल के अंतर्गत राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन 2022 तक 30 करोड़ युवाओं को कौशलयुक्त बनाने का काम कर रहा है।

खुशहाली जीवन के मानवीय अनुभव का आधार

प्रणब मुखर्जी ने कहा, 'खुशहाली जीवन के मानवीय अनुभव का आधार है। खुशहाली समान रूप से आर्थिक और गैर आर्थिक मानदंडों का परिणाम है। खुशहाली के प्रयास सतत विकास के साथ मजबूती से जुड़े हुए हैं। इसमें मानव कल्याण, सामाजिक समावेशन और पर्यावरण को बनाए रखना शामिल है। हमें अपने लोगों की खुशहाली और बेहतरी को लोकनीति का आधार बनाना चाहिए।'

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भारत को स्वच्छ बनाना है

राष्ट्रपति ने आगे कहा, 'सरकार की प्रमुख पहलों का निर्माण समाज कल्याण को बढ़ावा देने के लिए किया गया है। स्वच्छ भारत मिशन का लक्ष्य गांधीजी की 150वीं जयंती के साथ 2 अक्टूबर 2019 तक भारत को स्वच्छ बनाना है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था की बहाली के लिए मनरेगा जैसे कार्यक्रमों पर बढ़े व्यय से रोजगार में वृद्धि हो रही है। 110 करोड़ से अधिक लोगों तक अपनी वर्तमान पहुंच के साथ आधार लाभों के सीधे अंतरण, आर्थिक नुकसान रोकने और पारदर्शिता बढ़ाने में मदद कर रहा है।'

स्वस्थ लोकतंत्र के लिए सहिष्णुता जरूरी

प्रणब मुखर्जी ने कहा कि एक स्वस्थ लोकतंत्र के लिए विचारों की एकता से अधिक, सहिष्णुता, धैर्य और दूसरों का सम्मान जैसे मूल्यों की आवश्यकता होती है। ये मूल्य प्रत्येक भारतीय के हृदय और मस्तिष्क में रहने चाहिए, ताकि उनमें समझदारी और दायित्व की भावना भरती रहे। लोकतंत्र के फलने-फूलने के लिए एक बुद्धिमान और विवेकपूर्ण मानसिकता की जरूरत है।

सांस्कृतिक-धार्मिक अनेकता सबसे बड़ी ताकत

मुखर्जी ने कहा, 'मुझे पूरा विश्वास है कि भारत का बहुलवाद और उसकी सामाजिक, सांस्कृतिक, भाषायी और धार्मिक अनेकता हमारी सबसे बड़ी ताकत है। हमारी परंपरा ने सदैव 'असहिष्णु' भारतीय की नहीं, बल्कि 'तर्कवादी' भारतीय की सराहना की है। सदियों से हमारे देश में विविध दृष्टिकोणों, विचारों और दर्शन ने शांतिपूर्वक एक-दूसरे के साथ स्पर्धा की है।'

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भारत का लोकतंत्र कोलाहलपूर्ण है

राष्ट्रपति ने कहा, 'हमारा लोकतंत्र कोलाहलपूर्ण है। फिर भी जो लोकतंत्र हम चाहते हैं, वह अधिक हो। हमारे लोकतंत्र की मजबूती इस सच्चाई से देखी जा सकती है कि 2014 के आम चुनाव में कुल 83 करोड़ 40 लाख मतदाताओं में से 66 प्रतिशत से अधिक ने मतदान किया। हमारे लोकतंत्र का विशाल आकार हमारे पंचायती राज संस्थाओं में आयोजित किए जा रहे नियमित चुनावों से झलकता है। फिर भी हमारे कानून निर्माताओं को व्यवधानों के कारण सत्र का नुकसान होता है, जबकि उन्हें महत्वपूर्ण मुद्दों पर बहस करनी चाहिए और विधान बनाने चाहिए। बहस, परिचर्चा और निर्णय पर फिर से ध्यान देने के सामूहिक प्रयास किए जाने चाहिए।'

गलतियों को पहचानकर करना होगा सुधार

प्रणब मुखर्जी ने कहा, 'हमारा गणतंत्र अपने 68वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। हमें यह स्वीकार करना होगा कि हमारी प्रणालियां श्रेष्ठ नहीं हैं। त्रुटियों की पहचान की जानी चाहिए और उनमें सुधार लाना चाहिए। स्थायी आत्मसंतोष पर सवाल उठाने होंगे। विश्वास की नींव मजबूत करनी होगी। चुनावी सुधारों पर रचनात्मक परिचर्चा करने और स्वतंत्रता के बाद के उन शुरुआती दशकों की परंपरा की ओर लौटने का समय आ गया है, जब लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ आयोजित होते थे। राजनीतिक दलों के विचार-विमर्श से इस कार्य को आगे बढ़ाना चुनाव आयोग का दायित्व है।'

इस बार अबू धाबी के प्रिंस शेख मोहम्मद बिन जाएद अल नाहयान गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि हैं। गणतंत्र दिवस को लेकर संभावित खतरे को देखते हुए दिल्ली की सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है।