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वाराणसी में 8 गुना बढ़ी सांस की बीमारियां, रिपोर्ट में खुलासा

वाराणसी में एक दशक में जहरीले कणों के वायु में फैलने से बच्चों की सांस संबंधित बीमारियों में आठ गुना वृद्धि हुई है।

Updated on: 17 Dec 2016, 11:39 PM

highlights

  •  इस साल ठंड में वायु प्रदूषण औसत से पांच गुना ज्यादा रहा जिससे दमा के मामले बढ़े
  •  करीब 80 फीसद मामले सांस की बीमारियों से जुड़े हुए हैं

नई दिल्ली:

वाराणसी में एक दशक में जहरीले कणों के वायु में फैलने से बच्चों की सांस संबंधित बीमारियों में आठ गुना वृद्धि हुई है। एक नई रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने गृह क्षेत्र वाराणसी को जापान के शहर क्योतो की तरह बनाने की बात कही थी। एक रिपोर्ट के अनुसार, चिकित्सकों ने कहा है कि इस साल ठंड में वायु प्रदूषण कई दिनों तक असामान्य रूप से औसत से पांच गुना ज्यादा रहा। इससे दमा के मामले बढ़ रहे हैं।

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रिपोर्ट में शहर में बढ़ते हुए पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) के स्तर के साथ-साथ बढ़ती हुई सांस की बीमारियों की प्रवृत्ति को उजागर किया गया है। गंगा नदी के किनारे सिगरा इलाके के डॉ. प्रदीप जिंदल ने कहा, 'अस्थमा के मामलों में उल्लेखनीय वृद्धि देखने को मिली है, जो सिर्फ हमारी क्लीनिक में नहीं ही, बल्कि दूसरी क्लीनिक में भी देखी गई है।'

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उन्होंने कहा कि बीते दस साल में उन्होंने सांस की बीमारियों में आठ गुना वृद्धि देखी है। इससे बच्चे बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं। इससे उनका भार जबरदस्त बढ़ गया है। करीब 80 फीसद मामले सांस की बीमारियों से जुड़े हुए हैं। जिंदल की बात की पुष्टि पल्मोनोलॉजिस्ट आर.एन. वाजपेयी भी करते हैं। वाजपेयी की क्लीनिक लंका इलाके में है।

वाजपेयी ने कहा, 'शहर में एक बड़ी समस्या सड़क की धूल की है। गर्मियों में धूल की आंधी से प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है।' उन्होंने कहा कि ब्रॉन्कियल एलर्जी और सीने के संक्रमण में बीते चार-पांच सालों में कई गुना वृद्धि हुई है।