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US की मदद से UN में अवैध इज़राइली बस्तियां खत्म करने के लिए प्रस्ताव पारित, इजराइल भड़का

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने अवैध इसराइली बस्तियों को खत्म करने के लिए प्रस्ताव पारित किया है।

Updated on: 24 Dec 2016, 01:43 PM

highlights

  • संयुक्त राष्ट्र ने इज़राइली बस्तियां खत्म करने के लिये प्रस्ताव पारित किया
  • US ने नहीं किया वोट, इजराइल ने ओबामा प्रशासन पर साधा निशाना
  • इज़राइल और फिस्तीन के बीच है अवैध बस्तियां

नई दिल्ली:

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने अवैध इज़राइली बस्तियों को खत्म करने के लिए प्रस्ताव पारित किया है। प्रस्ताव के पक्ष में कुल 14 वोट पड़े जबकि अमरीका ने वोट नहीं किया। अमेरिका ने वीटो करने से इनकार किया था और वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया। जिससे भड़के इज़राइल ने ओबामा प्रशासन को आड़े हाथों लिया है।

अमेरीका आम तौर पर इज़राइल का समर्थन करता रहा है लेकिन इस बार उसने वीटो नहीं किया।

मिस्र ने इस प्रस्ताव का खाका तैयार किया था लेकिन इज़राइल ने डोनाल्ड ट्रंप से हस्तक्षेप कराया जिसके बाद प्रस्ताव को वापस ले लिया गया था। मलेशिया, न्यूजीलैंड, सेनेगल और वेनेजुएला ने दोबारा इस प्रस्ताव को आगे बढ़ाया।

संयुक्त राष्ट्र में अमरीकी राजदूत समंथा पावर ने कहा, 'यह प्रस्ताव जमीनी हकीकत बताता है कि बस्तियों की संख्या बढ़ रही है। उन्होंने कहा, 'बस्तियों की समस्या इतनी गंभीर हो गई है कि इसकी वजह से दो-राष्ट्र समाधान खतरे में पड़ गया है।'

वहीं इज़राइल के राजदूत ने ओबामा प्रशासन को आड़े हाथों लिया है। उन्होंने कहा 'यह शर्मनाक प्रस्ताव है।'

और पढ़ें: इज़राइल ने संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव को किया खारिज, ओबामा सरकार को आड़े हाथों लिया

प्रस्ताव के जरिए मांग की गई है कि इजराइल, पूर्वी जेरूसलम सहित अपने कब्जे वाले फिलीस्तीनी क्षेत्रों में बस्तियां बसाना फौरन बंद कर दे।

इजराइल ने गाजा पट्टी के साथ पश्चिमी तट पर 1967 में कब्जा कर लिया था। इसके एक दशक के बाद दक्षिणपंथी इजरालियों ने इन इलाकों में बस्तियां बसाना शुरू कर दिया।

ये बस्तियां अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के अनुसार अवैध हैं। अमेरिका इन्हें शांति की राह में एक बड़ा रोड़ा मानता है। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की-मून ने इस प्रस्ताव का स्वागत किया है। वहीं इजरायल ने इस प्रस्ताव की निंदा करते हुए इसे मानने से इंकार कर दिया है।

इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्याहू ने इस प्रस्ताव को बेतुका करार देते हुए कहा कि इजराइल इस प्रस्ताव को बिल्कुल नहीं मानेगा।