चुनाव आयोग ने 255 राजनीतिक दलों को सूची से हटाया
कई दलों ने आयकर रिटर्न भी नहीं भरा है या अगर भरा भी है तो उसकी कॉपी विभाग को नहीं भेजी है।
highlights
- इन पार्टियों में कुछ ने पार्टी ऑफ़िस के तौर पर केंद्रीय गृह मंत्री का पता डाल दिया हैं।
- इस वक़्त देश में 7 राष्ट्रीय दल और 58 प्रादेशिक दल हैं।
- ये आम चलन है कि छोटे-छोटे राजनीतिक दल बनाकर पैसे की उगाही की जाय।
नई दिल्ली:
चुनाव आयोग ने वैसी सभी 55 पार्टियों को सूची से हटा दिया है जो केवल कागज पर ही मौजूद था। इसके साथ ही केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) से इनके खिलाफ कार्रवाई शुरू करने को भी कहा गया है। इन पार्टियों में किसी ने भी साल 2005 से 2015 तक स्थानीय निकाय, विधानसभा या लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ा। चुनाव आयोग ने उसके पास पंजीकृत गैर मान्यता प्राप्त पार्टियों के रिकार्ड की समीक्षा के दौरान इन पार्टियों का पता लगाया।
चुनाव आयोग का मानना है कि ये राजनीतिक दल काले धन को सफ़ेद करने के लिए बनाये गए हैं। कई दलों ने आयकर रिटर्न भी नहीं भरा है या अगर भरा भी है तो उसकी कॉपी विभाग को नहीं भेजी है।
हालांकि एक राजनीतिक पार्टी का पंजीकरण रद्द करने का प्रत्यक्ष अधिकार चुनाव आयोग के पास नहीं है, लेकिन वह जन प्रतिनिधित्व कानून 1951 के तहत अपनी शक्ति का इस्तेमाल करते हुए पार्टी का चुनाव चिन्ह वापस ले सकता है।
दिलचस्प है कि इन पार्टियों में कुछ ने पार्टी ऑफ़िस के तौर पर केंद्रीय गृह मंत्री का वर्तमान आवास और पटियाला हाउस अदालत के वकीलों के चेम्बर का पता डाल दिया हैं।
एक पार्टी ऑल इंडिया प्रोग्रेसिव जनता ने अपना पता 17, अकबर रोड दिया है, जो वर्तमान में गृह मंत्री राजनाथ सिंह का सरकारी निवास है। एक अन्य पार्टी पवित्र हिन्दुस्तान कड़गम ने अपने पता 11, हरीश चंद्र माथुर लेन दिया है जो जम्मू एवं कश्मीर सीआईडी का कार्यालय है।
इसी तरह अखिल भारतीय दस्तकार मोर्चा और राष्ट्रीय युवा लोकतांत्रिक पार्टी ने अपना पता क्रमश: चेम्बर नंबर 187 और 461, पटियाला हाउस अदालत दिया है।
चुनाव आयोग ने चुनाव चिन्ह (आरक्षण और आवंटन) आदेश, 1968 की उप धारा 29ए और पैरा 17 के तहत ऐसी 255 पार्टियों को गैर मान्यता प्राप्त पंजीकृत राजनीतिक पार्टियों की सूची से हटा दिया है।
चुनाव आयोग ने सीबीडीटी को लिखे एक पत्र में लिखा है, "जन प्रतिनिधित्व कानून, 1951 के नियम 29 बी और 29 सी के आलोक में यह आपकी जानकारी और आवश्यकता पड़ने पर कार्रवाई के लिए है।"
इस वक़्त देश में 7 राष्ट्रीय दल और 58 प्रादेशिक दल हैं जो व्यावसायिक और मजबूत तरीके से चुनाव लड़ते हैं। इसके अलावा 1786 राजनीतिक पार्टियां हैं, जिनमें कुछ ही जानी जाती हैं. बाकी दल गुमनाम हैं, जिनका कई तरीकों से इस्तेमाल किया जाता है।
भारत के कई शहरों में ये आम चलन है कि छोटे-छोटे राजनीतिक दल बनाकर पैसे की उगाही की जाय। ऐसे दलों की कोई मंशा नहीं होती कि वो राजनीतिक हस्तक्षेप करें।
इस कदम से यह संदेश देने की कोशिश की जा रही है कि काले धन को सफ़ेद करने के लिए राजनीतिक पार्टी बनाना गैरकानूनी है।
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