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दलितों के उत्पीड़न के मामले में राजस्थान, उत्तर प्रदेश और बिहार अव्वल

दलितों के उत्पीड़न के मामले में राजस्थान का नाम सबसे ऊपर है। सरकार द्वारा जारी किये गए 2013-15 के आंकड़े के अनुसार राजस्थान पहले नंबर उत्तर प्रदेश दूसरे और बिहार तीसरे स्थान पर है।

Updated on: 19 Dec 2016, 08:00 PM

नई दिल्ली:

दलितों के उत्पीड़न के मामले में राजस्थान का नाम सबसे ऊपर है। सरकार द्वारा जारी किये गए 2013-15 के आंकड़े के अनुसार राजस्थान पहले नंबर उत्तर प्रदेश दूसरे और बिहार तीसरे स्थान पर है।

एससी-एसटी समिति की बैठक में चर्चा के लिये लाई गई रिपोर्ट के अनुसार संशोधित उत्पीड़न निरोधी कानून के तहत दलितों के खिलाफ उत्पीड़न के राजस्थान में 23, 861 मामले दर्ज किये गये। जबकि उत्तर प्रदेश में 23,556 और बिहार में 21, 061 मामले दर्ज़ किये गए हैं।

मध्यप्रदेश में 14, 016, आंध्र प्रदेश में 9054, उड़ीसा में 8,084, कर्नाटक में 7,565, महाराष्ट्र में 6,546, तमिलनाडु में 5,131 और गुजरात में 3,969 दलितों खिलाफ उत्पीड़न के मामले दर्ज़ किये गए हैं।

सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने 2013-15 में पाया है कि 43.3 प्रतिशत मामलों में ही अदालती कार्रवाई हुई है।

कुछ राज्य़ों जैसे में आंध्र प्रदेश में 6.3 फीसदी, गुजरात 3.1 फीसदी, कर्नाटक 3.5 फीसदी, महाराष्ट्र 7.6 per cent, ओडिशा 4.3 फीसदी, तमिलनाडु 7.5 फीसदी, तेलंगाना 7.5 फीसदी और पश्चिम बंगाल 3 फीसदी ही कार्रवाई हुई है।

सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने राज्यों से एक्शन टेकेन रिपोर्ट भी मंगाई है।

गहलोत ने बताया कि 14 राज्यों ने दलितों के खिलाफ हो रहे मामलों के निपटारे के लिये विशेष अदालते भी गठित की हैं।

समिति ने राज्यों से यह भी जानकारी मांगी है कि उत्पीड़ित दलितों के लिये जो राहत राशि तय की गई है वो उन्हें तय समय में दी जा रही है या नहीं। ये राहत राशि 85000 से लेकर 8,25,00 तक है जिसे सात दिन के अंदर देना होता है। लेकिन राशि कितनी दी जाए वो इस बात पर निर्भर करता है कि अपराध किस तरह का है।