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इंदिरा गांधी चुनाव के डर से नहीं कर पाई थी नोटबंदी, हमारी सरकार ने लिया फ़ैसला- नरेन्द्र मोदी

अगर यह 1971 में हो गई होती तो देश आज इस स्थिति में नहीं होता।

Updated on: 17 Dec 2016, 08:41 AM

highlights

  • साल 1971 में ऐसा नहीं किए जाने का हमें भारी नुकसान हुआ।
  • इंदिरा ने सवालिया लहजे में कहा था कि 'क्या आगे कांग्रेस को कोई चुनाव नहीं लड़ना है?
  • इंदिरा गांधी कालाधन के बलबूते ही बची रहीं।

नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को नोटबंदी के अपने फैसले का जोरदार ढंग से बचाव किया। उन्होंने कहा कि यह निर्णय साल 1971 में ही लिया जाना चाहिए था जब इंदिरा गांधी सरकार थी। देश में कालाधन को रोकने के लिए कदम नहीं उठाने हेतु कांग्रेस पर प्रहार करते हुए मोदी ने भाजपा सांसदों से कहा, "हमें ऐसा करने की जरूरत साल 1971 में थी। साल 1971 में ऐसा नहीं किए जाने का हमें भारी नुकसान हुआ।"

प्रधानमंत्री ने पूर्व नौकरशाह माधव गोडबोले की पुस्तक का हवाला दिया, जिसमें दर्ज है कि कैसे तत्कालीन गृह मंत्री वाई.वी. चव्हाण ने गलत तरीके हासिल और छिपे धन पर रोक लगाने के लिए नोटबंदी की अनुशंसा की थी।

मोदी ने कहा, "गोडबोले ने पुस्तक में लिखा है कि इस सुझाव पर इंदिरा ने सवालिया लहजे में कहा कि 'क्या आगे कांग्रेस को कोई चुनाव नहीं लड़ना है?' चव्हाण को संदेश मिल गया था और अनुशंसा ठंडे बस्ते में डाल दी गई थी।"

प्रधानमंत्री ने कहा, "साल 1971 में इसकी अनुशंसा हर व्यक्ति ने की थी। अगर यह 1971 में हो गई होती तो देश आज इस स्थिति में नहीं होता।"

मोदी ने शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन संसद के बाहर ये बातें कहीं। उच्च मूल्य के नोटों को अमान्य घोषित किए जाने से देश में नकदी का संकट पैदा हो गया है, जिसे लेकर हंगामा के कारण संसद का शीतकालीन सत्र नहीं चल सका।

प्रधानमंत्री द्वारा भाजपा संसदीय दल को संबोधित किए जाने के कुछ घंटों के बाद उनके भाषण की रिकार्डिग प्रसारित की गई।

प्रधानमंत्री ने दिवंगत मार्क्‍सवादी नेता ज्योति बसु की उस उक्ति को याद किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि 'इंदिरा गांधी कालाधन के बलबूते ही बची रहीं।"

बसु की टिप्पणी का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा, "(कांग्रेस की) सरकार कालाधन की, कलाधन द्वारा और कालाधन के लिए है।"

उन्होंने सन् 1972 में राज्यसभा में सुरजीत द्वारा दिए गए उस भाषण का भी जिक्र किया, जिसमें उन्होंने तत्कालीन कांग्रेस सरकार पर काला धन को खत्म करने के लिए नोटबंदी सहित कोई भी कदम नहीं उठाने का आरोप लगाया था।

प्रधानमंत्री ने कहा, "माकपा अब नोटबंदी का विरोध कर रही है, जो 100 रुपये के नोट के विमुद्रीकरण के लिए लड़ाई लड़ चुकी है। कांग्रेस के साथ गठजोड़ कर वाम दलों ने अपने विचारों से समझौता किया।"

अपना हमला जारी रखते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने देश से आगे पार्टी को रखा है, जबकि भाजपा 'देश पहले' की विचारधारा का अनुसरण करती रही है।

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की 1991 में की गई टिप्पणी का संदर्भ देते हुए मोदी ने कहा, "तब उन्होंने कर चोरी करने वालों के खिलाफ धमकी भरे लहजे का इस्तेमाल किया था। लेकिन अब वह लहजा बदल चुका है, क्योंकि उनके लिए पार्टी देश से ऊपर है।"

मोदी ने कहा, "संसद की कार्यवाही पहले भी बाधित हो चुकी है, लेकिन इस बार यह अलग थी। पहले विपक्ष घोटालों व भ्रष्टाचार के खिलाफ एकजुट होकर लड़ती थी, लेकिन अब अधिकांशी विपक्षी पार्टियां भ्रष्टाचारियों के पक्ष में खड़ी हैं।"

भाजपा के साथ वैचारिक मतभेदों के बावजूद नोटबंदी का समर्थन करने के लिए प्रधानमंत्री ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तथा ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक का शुक्रिया अदा किया।

अपने संबोधन के दौरान मोदी ने अपनी पार्टी के सांसदों को डिजिटल भुगतान के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए सरकार द्वारा शुरू की गई नई योजना का प्रचार-प्रसार करने के लिए कहा।