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चीनी सैनिकों ने किया DF-16 मिसाइल के साथ अभ्यास, भारत, जापान और अमेरिका इसकी जद में

हाल ही में गठित चीन की रॉकेट फोर्स ने अत्याधुनिक DF-16 मीडियम रेंड बैलिस्टिक मिसाइलों के साथ अभ्यास किया है। इन मिसाइलों की मार करने का दायरा 1000 किलोमीटर तक है।

Updated on: 06 Feb 2017, 05:40 PM

highlights

  • चीन की रॉकेट फोर्स ने अत्याधुनिक DF-16 मीडियम रेंज मिसाइलों के साथ किया अभ्यास
  • इसकी जद में भारत और जापान के अलावा अमेरिका भी 

नई दिल्ली:

हाल ही में गठित चीन की रॉकेट फोर्स ने अत्याधुनिक DF-16 मीडियम रेंज बैलिस्टिक मिसाइलों के साथ अभ्यास किया है। इन मिसाइलों की मार करने का दायरा 1000 किलोमीटर तक है। 

इसकी जद में भारत और जापान के अलावा अमेरिका भी आता है। आमतौर पर अपने हथियारों के बेड़े और सैन्य क्षमताओं को गुप्त रखने वाली चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने हाल ही में किए गए एक सैनिक अभ्यास का एक विडियो भी जारी किया है। इस विडियो में इन DF-16 मीडियम रेंज के बैलिस्टिक मिसाइल को दिखाया गया है।

चीन ने अपने मिसाइलों और इससे जुड़े सैन्य साजो-सामान के लिए अलग से एक रॉकेट फोर्स बनाई हुई है।

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विडियो में कई लॉन्च वीकल्स में ये मिसाइलें सेट की गई हैं। इस विडियो में चीनी सैनिक मिसाइल से जुड़े अभ्यास तो करते दिख रहे हैं, लेकिन वे इसे दागते नजर नहीं आते।

चाइना डेली अखबार के अनुसार ड्रिल में भाग लेने वाले चीनी सैनिकों ने युद्ध की अलग-अलग परिस्थितियों, उदाहरण के तौर पर रसायनिक/बायलॉजिकल हमला, संक्रमण और उपग्रह से जासूसी की कोशिशों का मुकाबला करने और इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग की स्थिति में किस तरह की रणनीतियां अपनाई जाएं इसका भी अभ्यास किया।

इस सैन्य अभ्यास के विडियो में DF-16 के दो प्रारूप दिखे हैं। यह तीसरा मौका है जब इन मिसाइलों का प्रदर्शन किया गया।

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चीन की राजधानी बीजिंग में सितंबर 2015 में हुए एक सैन्य परेड में पहली बार इस मिसाइल को दिखाया गया था। इसके बाद फिर जुलाई 2016 में एक टीवी न्यूज कार्यक्रम के दौरान सेंट्रल मिलिटरी कमिशन के उपाध्यक्ष जनरल फां चेंगलाग को D-16 यूनिट का निरीक्षण करते हुए दिखाया गया था। इसमें यह मिसाइल भी नजर आया था।

हालांकि चीन की ने अपने बैलिस्टिक मिसाइल्स का ब्योरा कभी सार्वजनिक नहीं किया, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि D-16 फर्स्ट आइलैंड चेन में स्थित अन्य देशों की सेनाओं के लिए एक गंभीर चुनौती है। मालूम हो कि जापान से लेकर उत्तर में ताइवान और दक्षिण में फिलीपीन्स तक फैले द्वीपसमूह को चीन की सेना 'फर्स्ट आइलैंड चेन' के नाम से पुकारती है।

डोनल्ड ट्रंप के अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के बाद चीन ताइवान के खिलाफ कड़े तेवर दिखा रहा है। क्योंकि ट्रंप ने राष्ट्रपति बनने के बाद ताइवान के राष्ट्रपति साइइंग वेन से फोन पर बात की थी।

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इसके अलावा चीन का साउथ चाइना सी को लेकर भी पड़ोसी देशों के अलावा अमेरिका से तनाव चल रहा है।