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सहारा-बिड़ला डायरी मामले में प्रधानमंत्री मोदी को राहत, सुप्रीम कोर्ट ने SIT जांच की मांग ठुकराई

सहारा-बिड़ला डायरी मामले में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट (SC) में सुनवाई हुई। SC में सरकार ने अपनी दलील रखते हुए कहा कि डॉक्युमेंट्स को कानूनी सबूत माना जाएगा तो देश में कोई सुरक्षित नहीं होगा।

Updated on: 11 Jan 2017, 08:30 PM

highlights

  • बिरला-सहारा डायरी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हुई सुनवाई
  • AG ने कहा, ऐसा कोई विश्वसनीय डॉक्युमेंट नहीं है जो साबित करे कि कॉर्पोरेट घरानों ने मोदी जी को पैसे दिए
  • SC ने कहा, सेटलमेंट कमिशन की निष्ठा पर शक नहीं, पर डायरियों की जांच जरूरी

नई दिल्ली:

सहारा-बिड़ला डायरी मामले में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट (SC) में सुनवाई हुई। SC में सरकार ने अपनी दलील रखते हुए कहा कि डॉक्युमेंट्स को कानूनी सबूत माना जाएगा तो देश में कोई सुरक्षित नहीं होगा। अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा, 'ऐसा कोई विश्वसनीय डॉक्युमेंट नहीं है जो साबित कर सके कि कॉर्पोरेट घरानों ने मोदी जी को पैसे दिए थे।'

जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि डायरियों की जांच जरूरी है। SC ने कहा, 'सेटलमेंट कमिशन की निष्ठा पर शक नहीं है, पर डायरियों की जांच जरूरी।'

कॉमन कॉज की ओर से दाखिल याचिका में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सहारा और बिड़ला ग्रुप से घूस लेने का आरोप लगाया गया है। डायरी में लिखे नाम के आधार पर कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2003 में घूस ली।

दरअसल आयकर की एक छापेमारी में सहारा के ऑफिस से एक डायरी मिली थी, जिसमें कथित रूप से यह लिखा है की 2003 में गुजरात के मुख्यमंत्री को 25 करोड़ रुपये घूस दी गई। उस समय नरेन्द्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। इनके अलावा तीन और मुख्यमंत्रियों को भी घूस दी गई।

आयकर विभाग ने बिड़ला ग्रुप के दफ्तर में भी छापेमारी की थी और एक डायरी जब्त किया था। डायरी में मोदी नाम से एंट्री की गई है।

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी दस्तावेज के आधार पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर घूस लेने के आरोप लगाये हैं।

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