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जानिए, क्यों तनाव है आपकी दिमागी सेहत के लिए खतरनाक?

तनाव सेहत के लिए बेहद हानिकारक है। तनाव से आपकी मानसिक सेहत तक बिगड़ सकती है।

Updated on: 05 Apr 2017, 03:21 PM

highlights

  • WHO की रिपोर्ट कि मुताबिक दुनिया भर में 300 मिलियन लोग डिप्रेशन से ग्रस्त है। 
  • शोध के मुतबिक गुस्सा और आक्रामकता दिल के रोगों का नया खतरा बन कर उभर रहे हैं।
  • गुस्से की हालत को दोबारा याद करने से भी दिल का दौरा पड़ सकता है। 
  • अगर डॉक्टर आईसीयू में बेहोश मरीज के सामने नकारात्मक बातें करने की बजाय सकारात्मक बातें करें तो उसके नतीजे बेहतर निकलते हैं।

नई दिल्ली:

तनाव सेहत के लिए बेहद हानिकारक है। भाग दौड़ भरी ज़िन्दगी में ज्यादातर लोगों का तनावग्रस्त होना काफी चिंताजनक है। ज्यादा तनाव लेने से डिप्रेशन होने का खतरा कई गुना ज्यादा बढ़ जाता है। WHO की रिपोर्ट कि मुताबिक दुनिया भर में 300 मिलियन लोग डिप्रेशन से ग्रस्त है।

तनाव में होने पर खान पान की चीजों का ख्याल नहीं रखा जाता। सेहत पर ध्यान न देने से मोटापा, दिल के रोग, हाईपरटेंशन और डायबिटीज जैसी बीमारियां होने का ख़तरा बढ़ जाता है । अकसर शराब, तम्बाकू या अन्य नशीली चीज़ों का सेवन तनाव से बचने कि लिए किया जाता है। लेकिन ऐसा करना सेहत कि लिए खतरनाक होता है। तनाव से आपकी मानसिक सेहत तक बिगड़ सकती है।

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आईएमए राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल कहते हैं, 'जब हमारा शरीर या दिमाग किसी जानी-पहचानी स्थिति के प्रति हमारी समझ के अनुसार प्रतिक्रिया देता है तो उससे तनाव उत्पन्न होता है। इसलिए तनाव से बचने के लिए या तो हालात को बदलना होगा या उसके प्रति समझ को या फिर शरीर को योग साधना से इस तरह ढालना होगा कि तनाव का आपके शरीर पर असर न पड़े।'

हर स्थिति के दो पहलू होते हैं। समझ बदलने का अर्थ है कि किसी हालात को दूसरे नजरिए से देखना। यह बिल्कुल पानी के आधे भरे हुए गिलास को देखने की तरह है, उसे आधा भरा या आधा खाली भी माना जा सकता है। हो सकता है, हर हालत को बदलना संभव न हो। जैसे अगर आपकी नौकरी बेहद तनावपूर्ण है, लेकिन नौकरी छोड़ना हमेशा संभव नहीं होता।

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आईएमए अध्यक्ष का कहना है, 'हालात के बारे में दूसरे पहलू से सोचने को एलोपैथिक भाषा में 'कॉजिनिटिव बेहेवियरल थैरेपी' कहा जाता है, यह शब्द अयुर्वेद से लिए गए हैं। भगवत गीता में भगवान कृष्ण ने अर्जुन को इस कॉजिनिटिव बेहेवियरल थेरेपी के बारे में सलाह दी थी। काउंसलिंग के साथ ही हम शरीर को इस तरह से ढाल सकते हैं कि तनाव का हम पर असर ना हो। प्राणायाम, ध्यान और नियमित व्यायाम की कला सीख कर हम ऐसा कर सकते हैं।'

शोध के मुतबिक गुस्सा और आक्रामकता दिल के रोगों का नया खतरा बन कर उभर रहे हैं। यहां तक कि गुस्से की हालत को दोबारा याद करने से भी दिल का दौरा पड़ सकता है।

शोध में यह भी पाया गया है कि अगर डॉक्टर आईसीयू में बेहोश मरीज के सामने नकारात्मक बातें करने की बजाय सकारात्मक बातें करें तो उसके नतीजे बेहतर निकलते हैं।

सबसे बेहतर तरीका है अपने विचारों, बोलों और क्रियाओं में मौन को लाना। प्रकृति माहौल में शांत मन से केवल सैर करते हुए और प्रकृति की सुंदर आवाजों को सुनते हुए बिताना 20 मिनट के ध्यान के बराबर प्रभावशाली होता है। 20 मिनट के ध्यान से वही मानसिक ऊर्जा प्राप्त होती है जो सात घंटे की नींद से मिलती है।

अगर आपको लगता है कि किसी भी चीज़ से आपको तनाव हो रहा है तो किसी से जरूर इस बारे में बात करें। चुप रहने से और किसी से बात न कहने से तनाव न सिर्फ आपके दिमाग बल्कि शरीर पर भी बुरा असर डालेगा।

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