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तमिलनाडु संकट: बोम्मई फैसले के जज सावंत बोले, शशिकला पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक रुक सकते हैं राज्यपाल

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज पी बी सावंत ने कहा है कि पक्षपात के आरोप से निकलने के लिये राज्यपाल को

Updated on: 13 Feb 2017, 12:26 PM

नई दिल्ली:

दिन ब दिन तमिलनाडु में राजनीतिक संकट गहराता जा रहा है और एआईएडीएमके में चल रहे घमासान को लेकर राज्य के राज्यपाल सी विद्यासागर राव को शशिकला और उनके समर्थक दलो की आलोचना का शिकार होना पड़ रहा है। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज पी बी सावंत ने कहा है कि पक्षपात के आरोप से निकलने के लिये राज्यपाल को "जल्द से जल्द फैसला करना होगा।"

लेकिन पूर्व जज सावंत का कहना है कि शशिकला पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक इंतज़ार कर सकते हैं। उन्होंने कहा, "अगर फैसला आने वाला है तो राज्यपाल उसका इंतज़ार कर सकते हैं, लेकिन ज्यादा दिन तक नहीं कर सकते। राज्यपाल चाहें तो वो पता कर सकते हैं को फैसला कब तक आने वाला है। उनके पास ये पता करने के अपने स्रोत हैं। ऐसा भी नहीं होना चाहिये कि वो शशिकला को शपथ दिलाएं और उसी दिन या उसके दूसरे दिन फैसला उनके खिलाफ आए और सीएम पद के लिये अयोग्य घोषित कर दिया जाए। अगर फैसला देने का दिन तय कर दिया गया है तो राज्यपाल इसका पता कर सकते हैं। वो चाहें तो रजिस्ट्रार जनरल या फिर सुप्रीम कोर्ट के जज से भी इसका पता कर सकते हैं।"

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शशिकला पर आय से अधिक संपत्ति और कथित भ्रष्टाचार के मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आना है।

ये पूछे जाने पर कि ओ पन्नीरसेल्वम और शशिकला में से किसे पहले सदन में बहुमत सिद्ध करने के लिये बुलाया जाए, तो उनका कहना था, "वर्तमान में जिसके हाथ में सत्ता की बागडोर है (पन्नीरसेल्वम) उसे ही पहले बुलाया जाना चाहिये। राज्यपाल को बुलाकर देखना चाहिये कि कौन से विधायक उन्हें समर्थन दे रहे हैं। फिर जो मौजूदा सीएम है उसे बहुमत सिद्ध करने के लिये बुलाया जाना चाहिये। वो दोनों को अपने समर्थक विधायकों के साथ भी बुला सकते हैं।"

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यह पूछे जाने पर कि क्या राज्यपाल को अपने ऊपर लग रहे पक्षपात आरोपों पर विराम लगाने के लिये संदेश देना चाहिये। तो उन्होंने कहा, "हां बिलकुल करना चाहिये। उन्हें यह संदेश देना चाहिये कि वो पक्षपात नहीं कर रहे। इसमें कोई शंका नहीं है कि राज्यपाल को इन सब से ऊपर होना चाहिये, किसी भी दलगत राजनीति से ऊपर। इसलिये उन्हें जितना जल्द हो सके इस संबंध में फैसला लेना चाहिये। अगर सुप्रीम कोर्ट का फैसले का ही इंतज़ार है तो इसका पता करना चाहिये। ताकि उन्हें लंबे समय तक इंतज़ार न करना पड़े।"

पूर्व जज सावंत एस आर बोम्मई बनाम भारतीय संघ मामले में बनी 9 सदस्यीय बेंच के सदस्य थे। एक अंग्रेज़ी अखबार से बातचीत में उन्होंने कहा, "राज्यपाल को जल्द से जल्द फैसला लेना होगा। वो ये कर सकते हैं कि जिन दोनों पक्षों ने बहुमत का दावा किया है उन्हें बुलाकर जल्द से जल्द विधानसभा में शक्ति प्रदर्शन करें।"

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साल 1994 में 11 मार्च को देश के सर्वोच्च अदालत ने एक ऐतिहासिक फैसला दिया था जिसको बोम्मई जजमेंट के नाम से जाना जाता है। इसके अनुसार सदन में शक्ति परीक्षण ही एकमात्र जरिया है जिससे पता ल पाए कि विधानसभा में बहुमत किसके पास है।