नेहरू से मनमोहन सिंह तक ने पर्सनल लॉ में किये बदलाव, ट्रिपल तलाक और यूनिफॅार्म सिविल कोड अलग मुद्दे: जेटली
ट्रिपल तलाक को लेकर चल रही बहस के बीच वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है, ‘पर्सनल लॉ में बदलाव एक सतत प्रक्रिया है, भले ही उसमें समानत न हो’। उन्होंने कहा कि पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से लेकर मनमोहन सिंह सभी के कार्यकाल में इसमें बदलाव किये गए हैं।
नई दिल्ली:
ट्रिपल तलाक को लेकर चल रही बहस के बीच वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है, ‘पर्सनल लॉ में बदलाव एक सतत प्रक्रिया है, भले ही उसमें समानत न हो’। उन्होंने कहा कि पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से लेकर मनमोहन सिंह सभी के कार्यकाल में इसमें बदलाव किये गए हैं।
फेसबुक के एक पोस्ट ‘ट्रिपल तलाक और सरकार का हलफनामा’ शीर्षक से लिखे पोस्ट में उन्होंने कहा है, ‘समय में बदलाव के साथ कई प्रावधान पुराने पड़ जाते हैं, जिनकी प्रासंगिकता खत्म हो जाती है। ऐसे में सरकार, विधायिका और समुदायों को समय की मांग के हिसाब से बदलाव करने के लिये आगे आना चाहिये।’
जेटली ने कहा, ‘ पंडित नेहरु की सरकार ने विधायिका के माध्यम से हिंदू पर्सनल लॉ में बड़े परिवर्तन किये थे। मनमोहन सिंह ने भी हिंदू संयुक्त परिवार में लैगिक समानतो को ल्कर बदलाव किये। इसी तरह से अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने लैंगिक समानता लाने के लिये इसाई समुदाय में शादी और तलाक को लेकर बदलाव किया था।’
उन्होंने पर्सनल लॉ में संशोधनों को लेकर मोदी सरकार के प्रस्ताव कहा, ‘सरकार का मानना है कि पर्सनल लॉ संविधान के दायरे में हो और लैंगिक समानता और सम्मानजनक जीवन जीने संबंधी नियमों से मेल खाता हो।’
जेटली ने कहा, 'ट्रिपल तलाक की संवैधानिक वैधता और समान आचार संहिता पूरी तरह से अलग है। सरकार का नजरिया साफ है कि पर्सनल लॅा बोर्ड संविधान के हिसाब से ही होना चाहिए। ट्रिपल तलाक को भी समानता के अधिकार और सम्मान के साथ जीने के अधिकार के साथ ही देखा जाना चाहिए।'
सुप्रीम कोर्ट में मोदी सरकार ने हलफनामा देकर ट्रिपल तलाक को खत्म किए जाने की सिफारिश की है। केंद्र सरकार के हलफनामे के बाद मुस्लिम पर्सनल बोर्ड ने इसका विरोध करते हुए कहा कि समान नागरिक संहिता देश के लिए ठीक नहीं है।
मुस्लिम पर्सनल लॅा बोर्ड ने कहा कि वह इस मुद्दे पर विधि आयोग की तरफ से भेजे गए सवालों का भी जवाब नहीं देंगे। विधि आयोग ने ट्रिपल तलाक पर सभी संबंधित पक्षों से राय मांगी है। केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू भी पहले कह चुके है कि मुस्लिम पर्सनल बोर्ड को इस मसले पर किसी तरह की राजनीति नहीं करनी चाहिए। नायडू के बाद अब जेटली ने इस मसले पर सरकार का पक्ष रखा है।
जेटली ने कहा, 'सभी को समानता और गरिमा के साथ जीने का अधिकार है।' उन्होंने कहा कि धार्मिक प्रथाओं और नागरिक अधिकारों में एक बुनियादी फर्क है। इस मामले में साफ है कि पर्सनल लॅा को संविधान को मानना चाहिए।
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