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कहानी 'अम्मा' की छाया बनीं 'चिनम्मा' शशिकला नटराजन की, जयललिता के सहारे कैसे पहुंची फर्श से अर्श तक

जयललिता के सबसे करीब साए की तरह रहने वालीं अम्मा की दोस्त शशिकला कहानी, वीडियो पार्लर चलाने से लेकर मुख्यमंत्री पद के सबसे करीब कैसे पहुंची चिनम्मा।

Updated on: 14 Feb 2017, 11:06 AM

नई दिल्ली:

तमिलनाडु की राजनीति की दिशा किस ओर जाएगी इस बात का फैसला मंगलवार हो ही गया। पूरे देश के साथ ही शशिकला को भी जिस फैसले का इंतज़ार था उसका निर्णय आ ही गया।

आय से अधिक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को फैसला सुनाते हुए शशिकला को दोषी ठहराते हुए 4 साल की सज़ा सुनाई है। 21 साल पुराने आय से अधिक संपत्ति मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाई कोर्ट का फैसला पलटते हुए फैसला सुना दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने शशिकला पर लगाया 10 करोड़ का जुर्माना साथ ही उन्हें तुरंत जेल जाने का दिया निर्देश दिया है इसके अलावा अब शशिकला 6 साल तक चुनाव नहीं लड़ सकेंगी।  

जयललिता की छाया बनीं शशिकला की कहानी

तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता की पल पल की साथ शशिकला कैसे उनकी हमसफर बनीं इसकी कहानी जानने के लिए अतीत में थोड़ा पीछे जाना होगा। शशिकला नटराजन एमजीआर के दोस्त आर नटराजन की पत्नी हैं। आर नटराजन तमिलनाडु सरकार में पब्लिक रिलेशन ऑफिसर थे।

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वह तमिलनाडु के एक ज़िले कुडालोर के जिलाअधीक्षक वीएस चंद्रलेखा के करीबी भी थे। दरअसल चंद्रलेखा के करीबी होने के चलते ही आर नटराजन एमजीआर के करीब आए और उनके बीच दोस्ती हुई।

उस वक्त एमजीआई जयललिता को राजनीति में लाने की कोशिशों में थे। जयललिता तमिल फिल्मों की हिरोइन तो पहले से ही थीं अब राजनीति के गुर भी सीख रहीं थी। वहीं, बचपन से बड़ी फिल्मी हस्तियों की लाइफस्टाइल से प्रभावित आर नटराजन की पत्नी शशिकला ने वीडियो कैमरा खरीद कर पार्लर चलाना शुरु कर दिया।

उसी दौरान उन्होंने जयललिता पर एक वीडियो बनाने की इच्छा जताई और उनकी जयललिता से गहरी दोस्ती की कहानी बुननी शुरु हो गई। 1987 में एमजीआर के मौत के बाद जयललिता बिल्कुल अकेली रह गईं और एमजीआर की पत्नी ने जयललिता को पार्टी से दरकिनार कर दिया।

ऐसे में शशिकला ने जयललिता का साथ दिया और जयललिता के मुख्यमंत्री बनने के संघर्ष में भी वो उनके साथ साए की तरह रहीं। 1991 में जयललिता राज्य की मुख्‍यमंत्री बनीं और उसके बाद शशिकला और उनके बीच रिश्तों की गांठे मज़बूत होने लगीं।

यहां तक की शशिकला जयललिता के घर के पास हीं रहने लगीं। यहीं नहीं जयललिता के घर में काम करने वाले नौकरों को भी शशिकला अपने प्रदेश मन्नारगुड़ी से लाईं थी। 40 नौकरों की पूरी टीम जयललिता के घर का पूरा काम करते थे।

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जयललिता के पद और बढ़ते कद के साथ साथ शशिकला भी फर्श से अर्श पर पहुंच गईं। इतना ही नहीं शशिकला ने अपने करीबी रिश्तेदारों के भी दिन फेर दिए। इसी दौरान 1996 तक राज्यभर में शशिकला और उनके परिवार द्वारा ग़लत तरीके से पैसे कमाने के किस्से चर्चा में छाए रहे।

यही वजह 1996 में पार्टी की हार का कारण भी बनीं और जयललिता दोबारा मुख्यमंत्री नहीं बन सकीं। धीरे-धीरे इनके रिश्तें ऐसे मोड़ पर आ गए जिससे चाह कर भी जयललिता इस शिकंजे से नहीं निकल सकी।

सुधाकरण की कहानी

दरअसल यह आय से अधिक संपत्ति का मामला सुधाकरण की शादी के बाद ही आया। वीएन सुधाकरण शशिकला का भतीजा था और उसकी शादी के वक्त जयललिता ने सुधाकरण को दत्तक पुत्र मान कर धूम-धाम से उसकी शादी कभी अपने राजनीतिक प्रतिद्ंदी रहे शिवाजी गणेशन की बेटी से कराई थी।

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सुधाकरण की शादी में जयललिता ने दिल खोल कर पैसे खर्च किए और यह शादी लाइमलाइट में आ गई। 1995 में हुई इस शादी में तमिलनाडु की 'अम्मा' ने 8 करोड़ रुपये खर्च किए थे। यह शादी पूरे देश में आज तक सबसे महंगी शादियों में शुमार है।

इतना ही नहीं, सुधाकरण की शादी गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी शामिल हुई थी। सुधाकरन की इस शादी में मुख्यमंत्री जयललिता ने 10 बड़े डाइनिंग हॉल्स तैयार किए थे और हर डाइनिंग हॉल में 25 हज़ार लोगों के बैठने की क्षमता थी।

इसके अलावा शादी का पंडाल भी 75,000 स्क्वायर फीट तक फैला हुआ था। यह दोनों ही बातें गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज हुई थी। इस शादी में खुद जयललिता और शशिकला सिर से पांव तक हीरों से लदी हुई थी। दोनों ने एक ही रंग की एक तरह की साड़ी भी पहनी हुई थी।

जयललिता की मृत्यु के बाद

शशिकला 1989 के बाद से हमेशा जयललिता के साथ ही रहीं। हालांकि बीच में इनके रिश्तों में भी कटुता आईं और जयललिता ने शशिकला के परिवार और उनसे दूर होने की कोशिश की। मगर मार्च 2012 में दोनों के बीच वापस सबकुछ ठीक हो गया।

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दोनों के बनते बिगड़ते रिश्तों के बीच जयललिता दुनिया छोड़ चल बसीं, हर पल उनके साथ साए की तरह रहने वाली शशिकला ही अंतिम वक्त में उनके साथ थीं। बीमार जयललिता जब अस्पताल में मुश्किल पलों से अकेले लड़ रहीं थी तब भी शशिकला ही उनके नज़दीक हर परिस्थिति पर नज़र बनाए हुए थीं।

ऐसा नहीं है कि अम्मा अकेली थीं और उनके समर्थक उनके साथ नहीं थे वो बस उनके पास नहीं थे। यहां तक की जिस दत्तक पुत्र की शादी में करोड़ो रुपये खर्च कर अम्मा आयकर विभाग की नज़र में चढ़ी वो सुधाकरण भी उनसे मिल नहीं पाया।

अस्पताल में सुधाकरण को जयललिता से मिलने नहीं दिया गया था। इसके अलावा जयललिता की भतीजी दीपा जयकुमार को भी जयललिता से अस्पताल में मिलने नहीं दिया गया। उसके बाद के घटे राजनीतिक घटनाक्रमों से सभी वाकिफ हैं।

इस बीच मंगलवार को सबकी निगाहें 1991-1996 के दरमियान जयललिता के मुख्यमंत्री पद पर उनके खिलाफ आय से अधिक करीब 66 करोड़ रुपये की संपत्ति अर्जित करने के मामले में फैसला आना है।

यह संपत्ति 'अम्मा' और उनके करीबियों ने उस वक्त अर्जित की जब जयललिता बतौर मुख्यमंत्री मात्र 1 रुपया पगार लेती थीं।

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