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दिल्ली में रामलीला का जश्न, क्या है इतिहास? जानें यहां

नवरात्र के दिनों में अगर रामलीला के की यादों नहीं गुजरें तो यह त्योहार अधूरा लगता है। ऐसे में सांस्कृतिक विरासत समेटे राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली इसके आयोजन के लिए तैयार है। कई जगहों पर 10 दिनों तक चलने वाला रामलीला दुर्गापूजा के साथ ही शुरू हो चुका है।

Updated on: 01 Oct 2016, 11:49 PM

नई दिल्ली:

नवरात्र के दिनों में अगर रामलीला के की यादों नहीं गुजरें तो यह त्योहार अधूरा लगता है। ऐसे में सांस्कृतिक विरासत समेटे राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली इसके आयोजन के लिए तैयार है। कई जगहों पर 10 दिनों तक चलने वाला रामलीला दुर्गापूजा के साथ ही शुरू हो चुका है। जहां सैकड़ों की संख्या में लोग रामायण पर आधारित नाटक यानी 'रामलीला' देखने के लिए शाम होते ही पहुंचते हैं।

दिल्ली में दिलशाद गार्डन, रामलीला मैदान, मयूर विहार, सूरजमल विहार की रामलीला मशहूर है जहां विजयादशमी के दिन लाखों की संख्या में लोग जुटते हैं। क्या आम-क्या खास सभी इस उत्सव को सेलिब्रेट करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं इस भाग-दौड़ वाले शहर दिल्ली में रामलीला के बड़े स्तर पर आयोजन होने की क्या कहानी है?

> राजधानी में रामलीला का इतिहास बहुत पुराना है। बताया जाता है कि रामलीला बहुत पहले से यह होता आया है लेकिन मुगल शासक औरंगजेब ने 17वीं सदी में रामलीला पर प्रतिबंध लगा दिया था। हालांकि बाद में उसके उत्तराधिकारियों को कर्ज देकर फिर से इसकी शुरुआत की गई थी।

> 1707 ई. में औरंगजेब की मृत्यु हो गई। इसके बाद 1719 ई. में दिल्ली की गद्दी पर मुहम्मद शाह रंगीला (1702-1748) बैठा। उस समय तक शाही खजाना खाली हो चुका था।

> बताया जाता है कि बादशाह रंगीला ने लाला सीताराम से सरकारी खजाने के लिए कर्ज मांगी। लाला सीताराम ने कर्ज के लिए शर्त रखी की अगर वह कर्ज देगा तो वह अपनी हवेली में रामलीला का आयोजन करेगा। जिसे रंगीला ने मान लिया। इसके बाद पुरानी दिल्ली स्थित सीताराम बाजार में रामलीला का आयोजन होता रहा।

> धीरे-धीरे यमुना किनारे भी इसका आयोजन होने लगा। बाद में कुछ अड़चने भी आई। लेकिन आज बड़े स्तर पर दिल्ली में रामलीला का आयोजन किया जा रहा है।

> आखिरी मुगल सम्राट बहादुर शाह सफर ने भी रामलीला का मंचन शुरू करवाया। लेकिन अंग्रेजी हुकुमत ने रामलीला मैदान में होने वाले इस आयोजन को रुकवा दिया और यहां फौज के ठहरने और घोड़ों का अस्तबल बना दिया। 1911 में पंडित मदन मोहन मालवीय ने फिर से रामलीला की शुरुआत की।

> आज चांदनी चौक के गांधी मैदान, सुभाष मैदान और रामलीला मैदान का रामलीला मशहूर है। नव श्री धार्मिक लीला कमेटी और लव-कुश रामलीला कमेटी दोनों इसका आयोजन कराती है।

> दिल्ली की बड़ी रामलीलाओं में शामिल लव-कुश रामलीला का इतिहास भी पचास वर्ष पुराना है। यह पहले पुरानी दिल्ली स्टेशन के समीप हुआ करती थी। 1989 में यह लाल किला मैदान में शुरू हुई। इन रामलीलाओं को जगह दिलाने में कांग्रेस के पूर्व सांसद जयप्रकाश अग्रवाल के पिता का अहम योगदान माना जाता है।

> भारत के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद, प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने नव श्री धार्मिक लीला कमेटी की लीला को देखने पहुंचे थे। आज भी राजनीतिक हस्ती विजयादशमी के दिन रामलीला देखने पहुंचते हैं।