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अल्पसंख्यक कानून रद्द होने की स्थिति में वैश्विक मंच पर अलग पड़ जाएगा पाकिस्तान

सिंध सरकार की तरफ से अल्पसंख्यकों के हितों को ध्यान में रखते हुए कानून को खत्म किए जाने की स्थिति में पाकिस्तान को वैश्विक स्तर पर अलगाव का सामना करना पड़ सकता है।

Updated on: 26 Dec 2016, 05:36 PM

highlights

  • पाकिस्तानी हिंदू काउंसिल और नेशनल एसेंबली के सदस्य रमेश कुमार वांकवानी की चेतावनी
  • वांकवानी ने कहा अल्पसंख्यकों के लिए बने कानूनों को रद्द करने से वैश्विक मंच पर अलग-थलग पड़ जाएगा पाकिस्तान

New Delhi:

सिंध सरकार की तरफ से अल्पसंख्यकों के हितों को ध्यान में रखते हुए कानून को खत्म किए जाने की स्थिति में पाकिस्तान को वैश्विक स्तर पर अलगाव का सामना करना पड़ सकता है। 

सिंध सरकार की तरफ से पास किए गए कानून में अल्पसंख्य समुदाय को विशेष सुऱक्षा प्रदान किया गया है। सिंध सरकार का यह कानून अल्पसंख्यकों को जबरन धर्म परिवर्तन से सुरक्षा देता है और इसके तहत 18 साल से कम उम्र के लोगों का धर्मांतरण अवैध माना जाएगा।

पाकिस्तानी हिंदू काउंसिल और नेशनल एसेंबली के सदस्य रमेश कुमार वांकवानी ने सिंध सरकार के सिंध क्रिमिनल लॉ (प्रोटेक्शन ऑफ माइनॉरिटीज) की समीक्षा किए जाने को लेकर आपत्ति जताई। सिंध सरकार मुल्लाओं के दबाव में आकर इस कानून की समीक्षा करने जा रही है।

पाकिस्तानी अखबार द डॉन के मुताबिक वांकवानी ने कहा कि अगर कट्टर धार्मिक समूहों के दबाव की वजह से कानून को खत्म किया जाता है तो यह गैर मुस्लिम आबादी के बीच असुरक्षा की भावना को मजबूत करेगा। उन्होंने कहा, 'अगर इस बिल को रद्द किया जाता है तो पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलगाव का सामना करना पड़ सकता है।' उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में हिंदू लड़कियों के अपहरण और फिर उनके जबरिया धर्म परिवर्तन के मामले सामने आने के बाद इस कानून को लाया गया था।

वांकवानी ने कहा कि वह किसी धर्मांतरण के खिलाफ नहीं है लेकिन यह जबरन नहीं होना चाहिए। इससे पहले धार्मिक दलों के दबाव के आगे घुटने टेकते हुए सिंध प्रांत की सरकार ने घोषणा की है कि वह जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ हाल में पारित कानून में संशोधन करेगी। धार्मिक दलों ने इस कानून के विरोध में आंदोलन चलाने और प्रांतीय विधानसभा भवन को घेर लेने की धमकी दी थी।

विधेयक नवंबर के आखिरी हफ्ते में पारित हुआ था और इसका मकसद अल्पसंख्यकों की रक्षा करना था। इसमें यह प्रावधान किया गया था कि धर्म परिवर्तन के लिए किसी व्यक्ति का 18 वर्ष का होना अनिवार्य है।

सिंध विधानसभा ने सर्वसम्मति से सिंध क्रिमिनल लॉ (प्रोटेक्शन ऑफ मानररिटीज) विधेयक 2015 को पारित किया था। यह विपक्षी दल पाकिस्तानी मुस्लिम लीग के विधायक नंद कुमार का निजी विधेयक था।

इस नए पारित कानून से धार्मिक दलों में नाराजगी बढ़ गई। उन्होंने इस कानून को इस्लाम की मूल भावना और रीति के खिलाफ करार दिया। धार्मिक दलों का मानना है कि इस नए कानून से धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए इस्लाम कबूल करना मुश्किल हो जाएगा।