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पाकिस्तानी राजनयिकों की सैलरी में आई रुकावट का नोटबंदी से कोई लेना-देना नहीं

दिल्ली स्थित पाकिस्तानी दूतावास के कर्मचारियों को सैलरी निकालने में हो रही दिक्ततों को लेकर विदेश मंत्रालय ने साफ किया है इसका नोटबंदी से कोई लेना-देना नहीं है।

Updated on: 04 Dec 2016, 11:29 AM

highlights

  • पाकिस्तानी दूतावास के कर्मचारियों को बैंक से पैसे निकालने में हो रही दिक्कत पर विदेश मंत्रालय की सफाई
  • विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने कहा का इस मसले का नोटबंदी से कोई लेना-देना नहीं है

New Delhi:

दिल्ली स्थित पाकिस्तानी दूतावास के कर्मचारियों को सैलरी निकालने में हो रही दिक्ततों को लेकर विदेश मंत्रालय ने साफ किया है इसका नोटबंदी से कोई लेना-देना नहीं है।

विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि सैलरी को लेकर हो रही दिक्कत का मसला पाकिस्तानी दूतावास और बैंक के बीच का मामला है, जिसका सरकार से कोई लेना-देना नहीं है। सूत्र ने कहा फिलहाल इस मामले को सुलझा लिया गया है।

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गौरतलब है कि नई दिल्ली में पाकिस्तानी उच्चायोग के कर्मचारियों ने भारतीय बैंक से डॉलर में मिलने वाली अपनी सैलरी लेने से मना कर दिया था क्योंकि बैंक ने राजनयिकों से डॉलर में सैलरी निकाले जाने को लेकर 'लेटर्स ऑफ परपज' की मांग की थी।

राजनयिक अपनी टैक्सफ्री सैलरी को डॉलर में निकाल सकते हैं। भारत में अगर कोई डिप्टोमैट 5 हजार अमेरिकी डॉलर तक निकालता है तो उसे इसके लिए किसी कागजात की जरूरत नहीं पड़ती।

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पाकिस्तानी उच्चायोग के कर्मचारियों का वेतन आरबीएल बैंक में है। बैंक अब राजनयिकों से डॉलर निकाले जाने पर 'लेटर्स ऑफ परपज' मांगने लगा है। बैंक अब 5 हजार डॉलर से भी कम रकम निकाले जाने पर रकम निकाले जाने के मकसद के बारे में पूछने लगे हैं।

मामला सामने आने के बाद इस्लामाबाद ने नई दिल्ली से इस मामले में कड़ा ऐतराज जताते हुए धमकी दी थी कि अगर दिल्ली में उसके कर्मचारियों को वेतन मिलने में परेशानी हुई तो इस्लामाबाद में भारतीय दूतावास के कर्मचारियों को भी वेतन मिलने में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। पाकिस्तान ने आरोप लगाया था कि भारत नोटबंदी की आड़ में नई दिल्ली में पाकिस्तानी दूतावास के कर्मचारियों की सैलरी रोक रहा है।