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यहां खुले में किया शौच तो लगेगा जुर्माना

बिहार में मुंगेर जिले के सदर प्रखंड की एक पंचायत में खुले में शौच करना अब ग्रामीणों को महंगा पड़ेगा, क्योंकि ऐसा करने वालों पर पांच सौ रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।

Updated on: 17 Dec 2016, 11:11 PM

नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना 'स्वच्छ भारत अभियान' को अब हर कोई अपने-अपने तरीके से परवान चढ़ाना चाहता है। इसी कड़ी में मुंगेर के सदर प्रखंड की नोवागढ़ी उत्तरी पंचायत की कार्यकारिणी ने गांव को स्वच्छ रखने के लिए यह अनोखा फैसला किया। जिसके तहत कोई भी खुले में शौच करते हुए पकड़ा गया तो पांच सौ रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।

नोवागढ़ी उत्तरी पंचायत की कार्यकारिणी ने एक निगरानी समिति बनाई है। इसके तहत पंचायत प्रतिनिधि खुले में शौच से फैलने वाली बीमारियों की जानकरी देने के साथ-साथ लोगों को उनके घरों में शौचालय निर्माण के लिए भी प्रेरित कर रहे हैं।

नोवागढ़ी उत्तरी पंचायत की मुखिया रीतू देवी ने आईएएनएस को बताया कि पंचायत को खुले में शौच से मुक्त बनाने को लेकर पंचायत भवन में एक बैठक आयोजित की गई, जिसमें खुले में शौच करने वालों पर पांच सौ रुपये का जुर्माना लगाने का निर्णय किया गया।

इस निणर्य से लोगों को अवगत कराने और जागरुकता फैलाने के लिए जगह-जगह पोस्टर और बैनर लगाए जा रहे हैं। बैनर पोस्टर के माध्यम से लोगों को स्वच्छता का संदेश दिया जा रहा है। पोस्टर में लिखा गया है, 'हम सभी ने ठाना है, पंचायत को स्वच्छ बनाना है।'

पंचायत की पंच बिंदु भारती ने बताया, 'इस फैसले के बाद शौचालय निर्माण कराने के लिए सरकार की ओर से मिलने वाली सहायता राशि की भी जानकारी लोगों को दी जा रही है और खुले में शौच पर रोक के फैसले को मूर्त रूप देने की जिम्मेदारी पंचायत सदस्यों एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं को दी गई है।'

उल्लेखनीय है कि इस पंचायत में 17 वार्ड हैं, जिनमें छह वार्ड के अधिकांश घरों में शौचालय हैं। मुखिया का दावा है कि 30 दिसम्बर तक पूरे पंचायत को खुले में शौच से मुक्त कराया जाएगा।

इस फैसले से ग्रामीण भी खुश हैं। ग्रामीण कैलाश राय कहते हैं, 'जब तक ग्रामीण इलाके में गंदगी रहेगी तब तक स्वच्छ भारत का सपना पूरा नहीं होगा। उनका मानना है कि खुले में शौच का चलन पंचायत के विकास में बाधक है।'

रोजगार सेवक उमेश कुमार का मानना है कि जब तक लोगों पर उनके घरों में शौचालय बनाने के लिए दबाब नहीं डाला जाएगा, तब तक इस प्रथा को समाप्त नहीं किया जा सकता। हालांकि उन्होंने कहा कि पंचायत के इस प्रयास की सराहना की जानी चाहिए।