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क्या शुरू होने से पहले खत्म हो जाएगा शशिकला का राजनीतिक सफर! आय से अधिक संपत्ति मामले में SC का फैसला तय करेगा चिनम्मा की सियासी तकदीर

शशिकला के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले में सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को फैसला सुनाएगा। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से ऑल इंडिया अन्ना द्रमुक (एआईडीएमके) की महासचिव शशिकला की सियासी किस्मत तय होगी।

Updated on: 13 Feb 2017, 11:38 PM

highlights

  • शशिकला के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले में सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को फैसला सुनाएगा
  • सुप्रीम कोर्ट के फैसले से एआईडीएमके की महासचिव शशिकला की सियासी किस्मत तय होगी
  • शशिकला ने कहा है अगर सुप्रीम कोर्ट का फैसला उनके खिलाफ आया तो वह खुशी से अपना दावा वापस ले लेंगी 

New Delhi:

शशिकला के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले में सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को फैसला सुनाएगा। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से ऑल इंडिया अन्ना द्रमुक (एआईडीएमके) की महासचिव शशिकला की सियासी किस्मत तय होगी।

अन्नाद्रमुक विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद शशिकला राज्यपाल सी विद्यासागर राव के समक्ष बहुमत साबित किए जाने का दावा पेश किया था लेकिन राज्यपाल ने उन्हें अभी तक सरकार बनाने के लिए आमंत्रित नहीं किया है।

राज्यपाल इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इतंजार कर रहे थे। मामले की सुनवाई दो जजों की पीठ कर रही है और अगर उन्होंने इस मामले में शशिकला के खिलाफ फैसला दिया तो उनका सियासी करियर शुरू होने से पहले ही खत्म हो जाएगा।

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सुप्रीम कोर्ट में दोषी करार दिए जाने के बाद शशिकला का मुख्यमंत्री बनना तो दूर वह अगले छह साल तक चुनाव भी नहीं लड़ पाएंगी। 2013 में सुप्रीम कोर्ट अपने आदेश में साफ कर चुका है कि किसी मामले में दोषी करार दिए जाने के तत्काल बाद ही विधायक या सांसद की सदस्यता खत्म हो जाएगी।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक अदालती आदेश के खिलाफ विधायकों या सांसदों को तीन महीने की अपील का अधिकार होगा लेकिन उनकी सदस्यता रद्द ही मानी जाएगी।

इसके साथ ही दोषी करार दिए जाने के बाद अगले छह साल तक चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध होगा। ऐसे में अगर सुप्रीम कोर्ट का फैसला शशिकला के खिलाफ आता है तो उनका राजनीतिक करियर खत्म हो जाएगा।

शशिकला के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता के कार्यकाल से जुड़ा हुआ मामला है। जयललिता, शशिकला और उनके रिश्तदारों वी एन सुधाकरन और इलावरसी पर आरोप है कि उन्होंने 1991 से 1996 के बीच जयललिता के मुख्यमंत्री के कार्यकाल के दौरान कथित तौर पर 66.65 करोड़ रुपये की आय से अधिक संपत्ति जुटाई। 

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मामले में सितंबर 2014 में बेंगलुरु की स्पेशल कोर्ट ने जयललिता शशिकला और उनके दो रिश्तेदारों को चार साल की सजा और 100 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था। हालांकि मई 2015 में कर्नाटक हाईकोर्ट ने जयललिता और शशिकला समेत सभी को बरी कर दिया था।

इसके बाद कर्नाटक सरकार, डीएमके और सुब्रमण्यम स्वामी ने हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने चार महीने की सुनवाई के बाद पिछले साल जून में अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।

इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट की पीठ इस मामले को फिर से सुनवाई से हाईकोर्ट भेज सकता है। ऐसी स्थिति में अगर सुप्रीम कोर्ट ट्रायल कोर्ट के आदेश पर रोक नहीं लगाता है तो भी वह मुख्यमंत्री नहीं बन पाएंगी, क्योंकि ट्रायल कोर्ट में वह दोषी करार दी जा चुकी है।

और क्या हैं विकल्प?

दो जजों की पीठ अगर शशिकला की सजा को लेकर एकमत नहीं होते हैं तो यह मामला तीन जजों की बेंच को भेजा जाएगा। ऐसा होना शशिकला के लिए बड़ी राहत होगी क्योंकि कर्नाटक हाईकोर्ट का बरी करने का फैसला अपने आप लागू हो जाएगा।

सजा को लेकर जजों के एकमत नहीं होने और बरी किए जाने के बाद शशिकला के मुख्यमंत्री बनने का रास्ता आसान हो जाएगा। राज्यपाल के पास इसके बाद शशिकला को विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए बुलाने के अलावा कोई और विकल्प नहीं होगा।

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पक्ष में फैसला आने के बाद शशिकला के लिए न केवल कानूनी अड़चनें खत्म हो जाएगी बल्कि उनके पक्ष में समर्थन और अधिक मजबूत होगा। वैसे भी सरकार बनाने के लिए शशिकला के पास विधायकों की पर्याप्त संख्या है और वह आसानी से विधानसभा में बहुमत साबित कर लेंगी।

मद्रास हाई कोर्ट को दिए गए हलफनामे के मुताबिक शशिकला के कैंप में कुल 119 विधायक हैं जो 234 सीटों वाले तमिलनाडु विधानसभा में सरकार बनाने के लिए पर्याप्त है। अन्नाद्रमुक के पास कुल 135 विधायक हैं।

विधायकों और सांसदों की संख्या के आधार पर शशिकला, पन्नीरसेल्वम पर भारी पड़ती नजर आ रही है। हालांकि पन्नीरसेल्वम के पक्ष में लगातार विधायकों और सांसदों की संख्या बढ़ रही है लेकिन पन्नीरसेल्वम के पक्ष में महज पार्टी के 8 विधायक और 12 सांसद हैं।

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