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बड़ा खुलासा, रिजर्व बैंक नहीं मोदी सरकार का फैसला था नोटबंदी

रिपोर्ट में कहा गया है कि नोटबंदी का फैसला केंद्र सरकार का था और इस संबंध में आरबीआई से मात्र एक दिन पहले जानकारी मांगी गई थी।

Updated on: 10 Jan 2017, 03:37 PM

highlights

  • नोटबंदी पर केंद्र सरकार ने मात्र एक दिन पहले आरबीआई से मांगी थी सलाह
  • संसदीय पैनल को दिये गये रिपोर्ट में आरबीआई ने दी जानकारी
  • सरकार ने कहा था, आरबीआई के बोर्ड ने नोटबंदी के संबंध में निर्णय लिया था

नई दिल्ली:

नोटबंदी के फायदे और नुकसान को लेकर हो रही बहस के बीच बड़ा खुलासा हुआ है। जिसमें कहा गया है कि नोटबंदी का फैसला केंद्र सरकार का था और इस संबंध में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को घोषणा से मात्र एक दिन पहले जानकारी दी गई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर को नोटबंदी की घोषणा की थी और 7 नवंबर को इस मसले पर आरबीआई से राय मांग गई थी।

संसदीय पैनल को दिये गये रिपोर्ट में आरबीआई ने कहा, 'सरकार ने 7 नवंबर को आरबीआई को सलाह दी थी कि जाली नोट, आतंकियों की फंडिंग और काला धन की समस्‍याओं से निपटने के लिए आरबीआई का सेंट्रल बोर्ड 500 और 1000 के नोटों की कानूनी वैधता को खत्म करने पर विचार करे।'

एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के मुताबित, सरकार की इस सलाह पर गौर करने के लिए अगले ही दिन आरबीआई सेंट्रल बोर्ड की बैठक हुई और विचार-विमर्श करने के बाद 500 और 1000 के नोटों को वापस लेने और उनकी कानूनी वैधता खत्‍म करने संबंधी सरकार की सलाह पर अपनी सहमति की मुहर लगा दी।

आरबीआई की रिपोर्ट आने के बाद सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि सरकार ने पहले कहा था कि नोटबंदी पर आरबीआई की सलाह ली थी। लेकिन अब आरबीआई का कहना है कि फैसले से मात्र एक दिन पहले इसकी जानकारी दी गई थी।

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केंद्रीय ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल ने राज्‍यसभा में कहा था, 'आरबीआई के बोर्ड ने यह निर्णय लिया। इसको सरकार के पास भेजा और सरकार ने इस निर्णय की सराहना करते हुए, कैबिनेट ने इसे मंजूरी दी कि पांच सौ और हजार के पुराने नोटों को रद्द किया जाए। नए नोट आएं।'

आरबीआई ने नोटबंदी पर अपनी रिपोर्ट में कहा, 'काला धन पर लगाम लगाने में इसकी बड़ी भूमिका हो सकती है और काले धन की अर्थव्‍यवस्‍था के खात्‍मे से भारत के आर्थिक विकास पर सकारात्‍मक असर पड़ेगा।'

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