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लोढ़ा कमेटी की सिफारिश न मानना पड़ा महंगा, सुप्रीम कोर्ट ने अनुराग ठाकुर को बीसीसीआई के अध्यक्ष पद से हटाया, सचिव अजय शिर्के भी हुए बाहर

सुप्रीम कोर्ट ने अनुराग ठाकुर को बीसीसीआई के अध्यक्ष पद से हटा दिया है। लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों को बीसीसीआई द्वारा लागू करने में हो रही आना-कानी के मुद्दे पर कोर्ट ने आज यह फैसला सुनाया।

Updated on: 02 Jan 2017, 01:24 PM

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने अनुराग ठाकुर को बीसीसीआई के अध्यक्ष पद से हटा दिया है। लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों को बीसीसीआई द्वारा लागू करने में हो रही आना-कानी के मुद्दे पर कोर्ट ने आज यह फैसला सुनाया। वहीं कोर्ट ने अनुराग ठाकुर से शो कॉज नोटीस जारी कर पूछा है कि अदालत की अवमानना के लिए क्यों न आप पर मुकदमा चलाया जाए।

अपने फैसले में कोर्ट ने अध्यक्ष अनुराग ठाकुर के साथ-साथ अजय शिर्के को भी सचिव पद से हटा दिया है। चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली बेंच ने अपने फैसले में अनुराग ठाकुर से पूछा है कि आखिर उनके खिलाफ ऐक्शन क्यों न लिया जाए।

कोर्ट ने ऐडमिस्ट्रेटर्स के नाम सुझाने के लिए वरिष्ठ वकील फली नरीमन और गोपाल सुब्रह्मणयम की दो सदस्यीय समिति का भी गठन किया है। कोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई 19 जनवरी को करेगा।

कोर्ट के फैसले के बाद जस्टिस लोढ़ा ने कहा कि यह क्रिकेट की जीत है। साथ ही कहा कि सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश अन्य खेल संगठनों के लिए एक सबक होना चाहिए। लोढ़ा कमिटी ने पिछले साल बीसीसीआई में सुधार की रिपोर्ट दी थी। लेकिन एक साल बाद भी इसे पूरी तरह से लागू नहीं किया गया। इसके बाद कोर्ट ने यह कदम उठाया है।

बता दें कि इससे पहले की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर ने कहा था कि बीसीसीआई प्रमुख अनुराग ठाकुर पर कोर्ट की अवमानना का केस चलाया जा सकता है। इसके लिए अनुराग ठाकुर जेल भी जा सकते हैं।

पिछली सुनवाई में सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें चेतावनी देते हुए कहा कि झुठी गवाही के लिए बोर्ड अध्यक्ष को सजा क्यों ना दी जाए। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने एमिकस क्यूरी से पूछा था कि क्या बीसीसीआई चीफ अनुराग ठाकुर ने कोर्ट के सामने झूठे तथ्य रखे? साथ ही कोर्ट ने कहा था कि अगर आदेश नहीं मानोगे तो जेल भी जाना पड़ सकता है।

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लोढ़ा पैनल के कुछ मुख्य सिफारिशें

  • लोढ़ा पैनल की सिफारिश थी कि बीसीसीआई के 14 सदस्यों वाली कार्यकारिणी कमेटी की जगह 9 सदस्यों वाली शीर्ष परिषद बनाई जाए।
  • एक पदाधिकारी एक बार में सिर्फ तीन साल के लिए बीसीसीआई के कार्यकारिणी सदस्य रहे और ज्यादा से ज्यादा तीन बार बीसीसीआई का चुनाव लड़े।
  • लगातार दो बार कोई भी पदाधिकारी किसी भी पद पर नहीं रह सकता।
  • 70 साल उम्र के ऊपर का कोई भी बीसीसीआई या राज्य बोर्ड की किसी भी कमेटी का सदस्य न बने।
  • एक राज्य में सिर्फ एक क्रिकेट संघ होना चाहिए और एक राज्य सिर्फ एक वोट कर सकता है। अगर राज्य में एक से ज्यादा क्रिकेट संघ है तो वह रोटेशन के तहत वोट दें।
  • बीसीसीआई की कार्यकारिणी कमेटी में कोई मंत्री या सरकारी अधिकारी न हो।
  • टीम चयन के लिए पांच सदस्यों की जगह तीन सदस्य वाली चयन समिति बने।
  • बीसीसीआई में धन संबंधी पारदर्शिता के लिए एक सीएजी को नियुक्ति हो।
  • आईपीएल और बीसीसीआई की अलग-अलग संचालन संस्था हो।
  • आईपीएल और राष्ट्रीय कैलेंडर के बीच 15 दिन का अंतर होना चाहिए यानी आईपीएल खत्म होने के 15 दिन के बाद खिलाड़ी कोई भी अंतरराष्ट्रीय मैच खेल सकता है।
  • लोढा पैनल ने सट्टेबाजी को वैध करने की सिफारिश की है, लेकिन यह भी बताया है कि कोई खिलाड़ी, प्रबंधक और पदाधिकारी सट्टेबाजी का हिस्सा न हो।
  • पैनल ने यह भी सिफारिश की कि मैच फिक्सिंग और स्पॉट फिक्सिंग को अपराध माना जाए।
  • एक सदस्य सिर्फ एक पद पर रहे चाहे वह राज्य क्रिकेट बोर्ड के किसी समिति का हो या मूल समिति का।
  • बीसीसीआई के अंदरुनी मामले सुलझाने के लिए एक सुप्रीम कोर्ट के जज को नियुक्त किया जाए और हाई कोर्ट के एक पूर्व जज को एथिक्स अफसर के रूप में नियुक्ति किया जाए।
  • सीसीआई को आरटीआई एक्ट के दायरे में लाया जाए।
  • खिलाड़ियों के हित के लिए एक खिलाड़ियों का एक संघ बनाए जाए और बीसीसीआई फंडिंग करे।