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अखिलेश और मुलायम के बीच आज फिर हो सकती है मुलाकात, सुलह समझौते की कोशिश में जुटे आजम खान, चिन्ह को लेकर EC पर निगाहें

समाजवादी पार्टी (सपा) में पिता-पुत्र की वर्चस्व की लड़ाई पर विराम लगेगा या नहीं यह अभी भी उत्तर प्रदेश की सियासत में बड़ा सवाल बना हुआ है।

Updated on: 04 Jan 2017, 06:29 PM

highlights

  • अखिलेश और मुलायम के बीच लखनऊ में 3 घंटे तक हुई बैठक
  • अपनी-अपनी शर्त मनाने की कोशिश में जुटे मुलायम-अखिलेश
  • रामगोपाल ने कहा, 'सपा में कोई समझौता नहीं होने जा रहा है

नई दिल्ली:

समाजवादी पार्टी (सपा) में पिता-पुत्र की वर्चस्व की लड़ाई पर विराम लगेगा या नहीं यह अभी भी उत्तर प्रदेश की सियासत में बड़ा सवाल बना हुआ है। हालांकि पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान पिता-पुत्र के बीच सुलह समझौता कराने की कोशिशों में जुटे है।

दो खेमों में बंट चुकी सपा में जहां पार्टी के नेताओं ने अपना अपना खेमा चुन लिया है वहीं अकेले आजम ने इस बंटवारे को रोकने का जिम्मा अपने सिर उठा रखा है।  

पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव और मुख्यमंत्री के बीच करीब साढ़े तीन घंटे चली बैठक बेनतीजा रही।

सपा सूत्रों के मुताबिक, अभी एक-दूसरे को मनाने के लिए बैठकें चलती रहेंगी। मंगलवार को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पिता मुलायम के साथ लंबी बैठक के बाद शिवपाल सिंह यादव, नारद राय व ओम प्रकाश सिंह भी 'नेताजी' से मिले। इस दौरान अखिलेश ने सुलह के लिए कई शर्तें रखी।

सूत्रों के अनुसार, मुलायम और अखिलेश के बीच अब भी सुलह की गुंजाइश है। टिकटों के बंटवारे के अधिकार से लेकर संगठन में बदलाव और कुछ प्रमुख लोगों को पार्टी से निकालने के अधिकार मिलने पर अखिलेश पिता मुलायम के समक्ष झुक सकते हैं। सूत्र यह भी बताते हैं कि पिता-पुत्र में सहमति बनी है कि अखिलेश सपा अध्यक्ष का पद छोड़ दें और शिवपाल यादव को केंद्र की राजनीति में भेजा जाए।

वहीं अखिलेश के सलाहकार रामगोपाल यादव ने किसी भी सुलह से इनकार किया है। उन्होंने कहा, 'समाजवादी पार्टी में कोई समझौता नहीं होने जा रहा है, दोनों पक्षों ने चुनाव आयोग के सामने अपनी बातें रखी है।'

उन्होंने कहा, 'अखिलेश यादव हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और हम उनके नेतृत्व में आगामी चुनाव लड़ने जा रहे हैं।' राम गोपाल ने कहा कि चुनाव चिन्ह पर चुनाव आयोग फैसला करेगा।

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इस बीच शिवपाल भी दिल्ली से लखनऊ लौट आए हैं। अखिलेश-मुलायम की बैठक पर शिवपाल यादव ने कहा, 'मुझे बैठक का पता नहीं, अगर बैठक में नेताजी (मुलायम सिंह यादव) बुलाएंगे तो जाएंगे।'

उधर, मंगलवार को अखिलेश खेमे की तरफ से प्रो. रामगोपाल यादव ने चुनाव आयोग में दावा पेश कर दिया। उन्होंने कहा कि साइकिल चुनाव निशान अखिलेश का है और पार्टी पर भी उन्हीं का हक है। इससे पहले सोमवार को मुलायम सिंह कह चुके हैं कि वे राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और उनकी अनुमति के बिना अधिवेशन नहीं बुलाया जा सकता है। लिहाजा, पार्टी के चुनाव-चिह्न् पर उन्हीं का अधिकार है।

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