सपा का गृहयुद्द, कौन असली कौन नकली: क्या होगा अगर अखिलेश की साइकिल छिनी, क्या जायेंगे बरगद की छांव में
अखिलेश आगामी विधानसभा चुनावों के लिए प्लान 'बी' के साथ भी पूरी तरह से तैयार है।
नई दिल्ली:
उत्तरप्रदेश में चल रही पिता पुत्र की लड़ाई अब राज्य की सीमा से निकल कर चुनाव आयोग तक पहुंच गई है। मुलायम सिंह यादव के सपा अधिवेशन को खारिज कर दिए जाने के बाद अखिलेश यादव तेवर और भी बागी हो गए है। ऐसा माना जा रहा है कि अखिलेश अब अलग पार्टी बना सकते है।
पार्टी के चुनाव चिन्ह 'साइकिल' पर मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव दोनों ने ही अपना दावा चुनाव आयोग में पेश किया है। लेकिन बात दे कि अखिलेश आगामी विधानसभा चुनावों के लिए प्लान 'बी' के साथ भी पूरी तरह से तैयार है।
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देश के पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की समाजवादी जनता पार्टी अखिलेश यादव को अपना चुनाव चिन्ह 'बरगद का पेड़' देने को तैयार है। इस सिलसिले में पार्टी के अध्यक्ष कमल मोरारका अखिलेश से मुलाकात भी कर चुके हैं।
सूत्रों के मुातबिक अप्रैल 2015 में मोरारका उस बैठक में भी मौजूद थे, जब समाजवादी आंदोलन से जुड़ी अलग-अलग पार्टियां बीजेपी के खिलाफ एक संयुक्त दल बनाने की रणनीति पर विचार कर ही थीं।
बता दें कि 5 नवंबर 1990 में SJP-R की स्थापना चंद्रशेखर ने की थी । जनता दल से अपने 60 सांसदों के साथ अलग होकर चंद्रशेखर इस पार्टी का गठन किया था और कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाई थी। यह सरकार सिर्फ सात महीने चल सकी थी।
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