logo-image

यूपी चुनाव 2017: राहुल गांधी के करीबी जितिन प्रसाद को बतौर उप-मुख्यमंत्री पेश कर सकती है कांग्रेस

समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन के बाद जारी कांग्रेस की उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए जारी 41 उम्मीदवारों की सूची में पूर्व केन्द्रीय मंत्री जितिन प्रसाद का नाम भी शामिल है।

Updated on: 23 Jan 2017, 01:10 PM

नई दिल्ली:

समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन के बाद जारी कांग्रेस की उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए जारी 41 उम्मीदवारों की सूची में पूर्व केन्द्रीय मंत्री जितिन प्रसाद का नाम भी शामिल है। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि पार्टी उन्हें उपमुख्यमंत्री के तौर पर भी पेश कर सकती है।

जितिन प्रसाद को तिलहर विधानसभा क्षेत्र से टिकट दिया गया है। यदि गठबंधन वापस सत्ता में वापसी करता है तो उन्हें कांग्रेस उप मुख्यममंत्री पद भी बना सकती है। जितिन ब्राह्मण हैं और पार्टी ब्राह्मण वोट बैंक को अपनी तरफ खींचने के लिये उनका इस्तेमाल कर सकती है।

दरअसल जितिन प्रसाद उत्तर प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष स्वर्गीय जीतेंद्र प्रसाद के बेटे हैं। वो युवा होने का साथ-साथ कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के काफी करीबी माने जाते हैं। यूपीए सरकार के दौरान केंद्र में राज्य मंत्री भी रहे जितिन प्रसाद के काम से पार्टी आलाकमान सोनिया गांधी भी संतुष्ट रही हैं।  

जितिन प्रसाद को उत्तर प्रदेश में पार्टी संगठन को दुरुस्त करने के लिये काफी काम भी किया है।  

ये भी पढ़ें: गठबंधन के ऐलान के बाद सपा और कांग्रेस ने जारी की उम्मीदवारों की सूची, कांग्रेस ने 41 जबकि सपा ने दिए 77 उम्मीदवारों को टिकट

कांग्रेस इस बार चुनावों में ब्राहमण वोट बैंक को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिये दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को ब्राह्मण और सीएम के चेहरे के तौर पर पेश किया था। लेकिन गठबंधन के बाद समीकरण बदले हैं और कांग्रेस अब एक नए ब्राहमण चेहरे को पेश कर रही है।

इसके अलावा भी कांग्रेस शीला दीक्षित को लेकर संशय में थी। शीला दीक्षित का नाम सहारा डायरी में आने के कारण कांग्रेस बचाव की स्थिति में है। इसका सबसे बड़ा कारण  यह है कि कांग्रेस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम सहारा डायरी में होने के कारण उन्हें भ्रष्टाचार के मुद्दे पर घेर रही है।

ये भी पढ़ें: सहारा डायरी में नाम आने के बाद शीला दीक्षित के यूपी में कांग्रेस का चेहरा बने रहने पर सवाल

इसके साथ ही शीला दीक्षित तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं और उन्हें उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिये दिल्ली से लाया गया था जिसकी वजह से जनता में पैठ बनाने में कांग्रेस को मुश्किल भी हो रही थी। 

ये भी पढ़ें: अखिलेश को साइकिल मिलने के बाद उत्तर प्रदेश में गठबंधन की अटकलें हुईं तेज़, कांग्रेस ने भी बढ़ाया हाथ

कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने पार्टी को सलाह दी थी कि कांग्रेस उत्तर प्रदेश में ब्राहमण वोट बैंक को अपनी तरफ लाए, जो इस समय बीजेपी के साथ हैं।