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पिछले साल विज्ञापन पर AAP ने 30 लाख लुटाए, जबकि छात्रवृत्ति पर महज 3 लाख रुपये खर्च किए गए: योगेंद्र यादव

स्वराज इंडिया ने विज्ञापन खर्च को लेकर आम आदमी पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कहा कि दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की सरकार ने विज्ञापन पर 30 लाख रुपये लुटा दिए वहीं तीन छात्रों को महज पिछले साल 3.15 लाख रुपये की छात्रवृति मिली।

Updated on: 22 Jan 2017, 12:06 AM

highlights

  • पिछले साल AAP की सरकार ने विज्ञापन पर 30 लाख रुपये खर्च किए वहीं तीन छात्रों को महज पिछले साल 3.15 लाख रुपये की छात्रवृति मिली
  • स्वराज इंडिया के योगेंद्र यादव ने कहा शिक्षा को लेकर अरविंद केजरीवाल सरकार के दावे की हकीकत वादों से बिलकुल उलट है

New Delhi:

स्वराज इंडिया ने विज्ञापन खर्च को लेकर आम आदमी पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कहा कि दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की सरकार ने विज्ञापन पर 30 लाख रुपये लुटा दिए वहीं तीन छात्रों को महज पिछले साल 3.15 लाख रुपये की छात्रवृति मिली।

स्वराज इंडिया ने कहा कि अरविंद केजरीवाल शिक्षा के क्षेत्र में लंबे चौड़े वादे करते रहे हैं लेकिन उसकी हकीकत बिलकुल उलट है। हायर एजुकेशन और स्किल गारंटी स्कीम दिल्ली सरकार की मुख्य योजनाएं हैं।

स्वराज इंडिया के योगेंद्र यादव ने मीडिया से बातचीत में कहा कि दिल्ली में शिक्षा के बजट को दोगुना किया जाना महज 'कोरी कल्पना' है क्योंकि आंकड़ें दूसरी कहानी बताते हैं। यादव ने कहा, '30 दिसंबर 2016 तक (पिछले डेढ़ साल के दौरान) 405 आवेदनों में से 97 छात्रों को कर्ज दिए गए।'

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योगेंद्र यादव ने कहा, 'इनमें से दिल्ली सरकार ने कुल तीन छात्रों को 3.15 लाख रुपये का कर्ज दिया। जबकि बाकी के लोन केंद्र सरकार ने दिए।' उन्होंने कहा, '2015-16 में सरकार ने जबकि विज्ञापनों पर 30 लाख खर्च कर दिए।' यादव ने कहा यह सभी आंकड़ें आरटीआई से निकाले गए हैं और यह दिल्ली सरकार का आधिकारिक आंकड़ा है। वहीं आम आदमी पार्टी ने योगेंद्र यादव के दावे पर कुळ भी कहने से मना कर दिया है।

आप की दिल्ली यूनिट के संयोजक दिलीप पांडेय ने कहा, 'हम उन लोगों के दावे पर कोई टिप्पणी करना नहीं चाहते जिनका दिल्ली की विकास की राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है।' 

यादव ने कहा आम आदमी पार्टी ने हर साल दिल्ली में 500 स्कूलों को बनाए जाने का वादा किया था। 2014-15 में दिल्ली में 1007 स्कूल थे लेकिन '2015-16 के अंत तक दिल्ली में 1011 स्कूल ही थे। पूरे साल के दौरान दिल्ली में महज चार स्कूल बनाए गए।'

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