तमिलनाडु संकट: SC ने शशिकला को और समय देने से किया इंकार, करना पड़ेगा सरेंडर
ऑल इंडिया अन्ना द्रमुक मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) महासचिव शशिकला की मुसीबतें बढ़ी।
highlights
- SC ने शशिकला को सरेंडर के लिए और वक्त देने से इंकार किया
- निचली अदालत के फैसले को बहाल करते हुए शशिकला को चार साल की सजा
- आय से अधिक संपति रखने के मामले में शशिकला समेत दो दोषी
नई दिल्ली:
ऑल इंडिया अन्ना द्रमुक मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) महासचिव शशिकला की मुसीबतें बढ़ी। सुप्रीम कोर्ट ने शशिकला को सरेंडर के लिए और वक्त देने से इंकार कर दिया। एआईएडीएमके में सत्ता के जारी घमासान के बीच में मंगलवार को शशिकला को सुप्रीम कोर्ट ने झटका देते हुए आय से अधिक संपति रखने के मामले में दोषी करार देते हुए 4 साल की सजा सुनाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने शशिकला को तुंरत ही सरेंडर करने का भी आदेश दिया था। जिसके बाद शशिकला ने सरेंडर के लिए कुछ समय मांगा था।
#VKSasikala mentions before Supreme Court seeking more time to surrender, but SC refuses to give more time
— ANI (@ANI_news) February 15, 2017
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद चेन्नई में शशिकला के घर पोएस गार्डन के बाहर समर्थक की भीड़ जुटने लगी है। माना जा रहा है कि शशिकला आज ही सरेंडर कर सकती है या फिर सेहत का हवाला देते हुए दो सप्ताह का समय मांग सकती है।
#VKSasikala likely to surrender today in DA Case, she may also seek two weeks time on health grounds. #TamilNadu
— ANI (@ANI_news) February 15, 2017
सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को बहाल करते हुए शशिकला तथा दो अन्य दोषियों को निचली अदालत के सामने समर्पण और बाकी की सजा पूरी करने का आदेश दिया। निचली अदालत ने जयललिता, शशिकला तथा दो अन्य को 27 सितंबर, 2014 को दोषी ठहराया था। निचली अदालत ने शशिकला को चार साल कारावास की सजा 10 करोड़ रुपये जुर्माना लगाया था।
इसे भी पढ़ें: तमिलनाडु राज्यपाल पलानीसामी को भेजेंगे सरकार बनाने का न्योता
सुप्रीम कोर्ट का फैसला कर्नाटक सरकार की उस याचिका पर सुनवाई के बाद आया था, जिसमें उसने 11 मई, 2015 को कर्नाटक उच्च न्यायालय द्वारा आय से अधिक संपत्ति मामले में जयललिता, शशिकला तथा दो अन्य को बरी करने के फैसले को चुनौती दी थी।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद शशिकला अब 10 वर्षो तक चुनाव नहीं लड़ पाएंगी। इसमें से चार साल उनकी कैद की अवधि के होंगे और रिहा होने के बाद जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत वह छह साल तक चुनाव नहीं लड़ सकेंगी।