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शीतकालीन सत्र के दौरान बर्बाद हुए 179 घंटे, केवल 20 फीसदी ही हुआ कामकाज

संसद के शीतकालीन सत्र को दौरान दोनों सदनों में अब तक केवल 20 फीसदी ही कामकाज हुआ।

Updated on: 14 Dec 2016, 03:34 PM

highlights

  • संसद के शीतकालीन सत्र में लोकसभा में 91.80 घंटे और राज्यसभा में 86.33 घंटे बर्बाद 
  •  16 दिसंबर को सत्र खत्म होने वाला है लेकिन संसद के दोनो सदन में एक भी दिन कामकाज नहीं हुआ।

नई दिल्ली:

संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान दोनों सदनों में अब तक केवल 20 फीसदी ही कामकाज हुआ। 2013 के शीतकालीन सत्र के बाद इस सत्र में सबसे ज्यादा समय की बर्बादी हुई है। हालांकि चेहरे बदल गए है। पहले जहां भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) विपक्ष में थी, इस बार कांग्रेस सदन को ना चलने के आरोप को झेल रही है।

पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च के आंकड़ों के मुताबिक लोकसभा में 91.80 घंटे(85 फीसदी) जबकि राज्य सभा में 86.33 घंटे (81 फीसदी) का समय निकल चुका है, जो कि पूरी तरह से बर्बाद गया।

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हालांकि सबसे ज्यादा बर्बाद शीतकालीन सत्र 2010 में कांग्रेस की सरकार के दौरान रहा। लोकसभा में 130.38 घंटे (94फीसदी) जबकि राज्य सभा में 112.22 घंटे (98 फीसदी) समय बर्बाद हो गया था। तत्कालीन विपक्षी दल बीजेपी मे 2 जी स्पेक्ट्रम में जेपीसी जांच की मांग करते हुए दोनो सदनों के कामकाज को नहीं चलने नहीं दिया था।

वहीं दूसरी ओर इस बार, संसद में नोटबंदी के फैसले को लेकर बीजेपी विपक्ष के निशाने पर है। विपक्ष की मांग है कि लोकसभा में इस मुद्दे पर वोटिंग के तहत पर बहस कराई जानी चाहिए जबकि राज्यसभा में बहस के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूद रहने की मांग है।

16 दिसंबर को सत्र खत्म होने वाला है लेकिन संसद के दोनो सदन में एक भी दिन कामकाज नहीं हुआ। आंकड़ों और बजट को देखते हुए, साल के 100 दिन दोनों सदन में संसदीय कार्यवाही चलाने के लिए सरकारी खजाने से रोजाना 10.01 करोड़ रुपये का खर्चा होता है।

अब तक, मोदी सरकार के दौरान समय के मामले में संसदीय सत्र के सबसे ज्यादा उत्पादक रहा है। 2014,2015 औऱ 2016 के बजट सत्र, 2015 का शीतकाली सत्र और 2016 का मानूसन सत्र में 100 फीसदी कामकाज हुआ।