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कैशलेस की राह आसान नहीं, इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार के लिए टेलीकॉम कंपनियों को हर साल निवेश करने होंगे एक लाख करोड़ रुपये

देश भर में खराब मोबाइल नेटवर्क एक बड़ी समस्या है। खासकर गांव-कस्बों के इलाकों में मोबाइल टावरों की कमी, खराब डाटा सर्विस से निपटना कंपनियों के लिए बड़ी चुनौती है।

Updated on: 17 Dec 2016, 08:20 PM

highlights

  • देश में मोबाइल इंफ्रास्ट्रक्चर पूरी तरह से अपडेट नहीं
  • इंफ्रास्ट्रक्चर के अपडेट के बगैर कैशलेस इकॉनोमी के सपने को पूरा करने की चुनौती

नई दिल्ली:

सरकार भले ही देश भर में नगद रहित अर्थव्यवस्था और मोबाइल बैंकिंग को बढ़ावा देने की बात कर रही है लेकिन इसकी राह इतनी भी आसान नहीं है।

अंग्रेजी अखबार बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक देश भर की टेलीकॉम कंपनियों को अपने डाटा सर्विस को और दुरूस्त करने के लिए अगले पांच साल तक हर वर्ष करीब एक लाख करोड़ रुपये निवेश करने होंगे।

रिपोर्ट्स के मुताबिक एयरटेल की स्थिति सबसे बेहतर है। उसे पेमेंट बैंक लाइसेंस हासिल है। जबकि वोडाफोन में मोबाइल वॉलेट और M-Pesa की सुविधा उपलब्ध है जिसकी मदद से ग्राहक और भुगतान लेने वाले के बीच लेनदेन हो सकती है।

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आदित्य बिड़ला आइडिया और आदित्य बिड़ला नुवो भी यह सुविधा देते हैं। आदित्य बिड़ला नुवो को डिजिटल पेमेंट के लिए बैंकिंग लाइसेंस हासिल है।

बाजार में नई आए रिलायंस जियो ने भी जियोमनी ई-वॉलेट की सुविधा शुरू कर दी है।

हालांकि, इन सबके बावजूद देश भर में खराब मोबाइल नेटवर्क एक बड़ी समस्या है। खासकर दूर-दराज और गांव-कस्बों के इलाकों में मोबाइल टावर की कमी, कस्टमर सर्विस और खराब डाटा सर्विस से निपटना कंपनियों के लिए बड़ी चुनौती है।

बता दें कि 8 नवंबर को नोटबंदी की घोषणा के बाद सरकार अलग-अगल प्लेटफॉर्म से लगातार कैशलेस इकॉनोमी को बढ़ावा देने की बात कर रही है।

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वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी कुछ दिनों पहले डिजिटल लेनदेन को प्रोत्साहन देने के लिए कई नए फैसलों की घोषणा की थी।