विभाजन के मुहाने पर खड़ी समाजवादी पार्टी का कुछ ऐसे गुजरा रविवार
यूपी में हो रहे उथल-पुथल पर पूरे देश की नज़र है। राजनीतिक रूप से बेहद संवेदनशील सूबे पर शासन कर रहे परिवार की दरारें चौड़ी हो रहीं हैं।
नई दिल्ली:
उत्तर प्रदेश में हो रहे उथल-पुथल पर पूरे देश की नज़र है। राजनीतिक रूप से बेहद संवेदनशील सूबे पर शासन कर रहे परिवार की दरारें दिन-ब-दिन चौड़ी हो रहीं हैं। वैसे तो ये घटनाक्रम कई दिनों से चल रहा है लेकिन रविवार को ये मसला तेज़ी से क्लाइमेक्स की तरफ बढ़ता दिखा। दोनों खेमे एक-दूसरे के वफादारों की सियासी बलि देते रहे। चिट्ठी और जवाबी चिट्ठियों का दौर चलता रहा।
इस बीच खबर आई कि समाजवादी पार्टी में दो फाड़ हो सकते हैं। लेकिन अंदरखाने से यह भी बात दबी जुवान में कही गई कि राज्य के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पार्टी नहीं छोड़ेंगे वे इस ताक में हैं कि उनके पिता और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव उन्हें पार्टी से निकाल दें जिससे कि वो चुनाव से पहले वोटरों की सहानुभुति ले सकें। लेकिन अब नेताजी मुलायम सिंह ने सोमवार को पार्टी की बैठक बुलाई है।
रविवार को नेताजी लखनऊ में अपने घर पर एक बैठक बुलाई जिसमें कई वरिष्ट नेता शामिल हुए। अंदरखाने से ऐसी भी खबरें आई कि एसपी सुप्रीमों ने राष्ट्रीय लोकदल के प्रमुख अजीत सिंह से बातचीत की। लेकिन अब तो सोमवार को बैठक के बाद ही तय हो पाएगा कि पार्टी टूटेगी या बचेगी। आईए डालते हैं एक नजर समाजवादी परिवार के घर घटी घटना पर।
रविवार सुबह रामगोपाल यादव ने कार्यकर्ताओं के नाम लिखी चिट्ठी में साफ कर दिया था कि अखिलेश जहां होंगे, विजय वहीं होगी। उन्होंने अखिलेश में भरोसा जताते हुए लिखा कि 'हम चाहते हैं कि अखिलेश के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश में समाजवादी सरकार बने। वे चाहते हैं कि हर हालत में अखिलेश यादव हारें। हमारी सोच पॉजिटिव है और उनकी निगेटिव।'
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इसके बाद शिवपाल खेमे में खलबली मच गई और प्रेस कांफ्रेंस में राम गोपाल यादव को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। साथ ही उनपर बेहद तल्ख भाषा में आरोप मढ़े गए।
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भाजपा के साथ गलबहियां कर अपनों को सीबीआई से बचाने का आरोप सबसे गंभीर था। हालांकि रामगोपाल ने इसका खंडन किया और कहा कि ये आरोप झूठे और बेबुनियाद हैं। रामगोपाल बोले कि उन्हें पार्टी से निकाले जाने का दुख नहीं है लेकिन वो आरोपों से आहत हैं।
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सूत्रों के हवाले से आई इस खबर से साफ होने लगा था कि दोनों खेमों में सुलह के आसार खत्म हो चुके हैं। मुलायम के इस बयान के बाद कि अखिलेश उनका फोन भी नहीं उठाते, से यह साफ हुआ कि पिता और पुत्र में किस कदर संवादहीनता आ चुकी है।
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ऐसी खबरें आती रहीं कि परिवार में आए इस न भर सकने लायक दरार ने एक दौर में पहलवान रहे मुलायम को बेहद कमजोर कर दिया है। ऐसा भी पता चला कि लखनऊ में रविवार शाम मुलायम के घर हुई बैठक में वो बहुत भावुक हो गए थे।
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