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जजों की नियुक्ति पर फिर कोर्ट और सरकार आमने-सामने, कोलेजियम ने 43 नाम वापस भेजे

कोलेजियम की ओर से भेजे गए 77 नामों की सूची में सरकार ने 34 नामों पर मुहर लगाई थी जबकि 43 नामों को पुनर्विचार के लिए वापस भेज दिया था।

Updated on: 19 Nov 2016, 08:16 AM

highlights

  • जजों की नियुक्ति पर केंद्र और कोर्ट के बीच तकरार
  • कोर्ट ने गेंद वापस सरकार के पाले में फेंकी

नई दिल्ली:

केंद्र और न्यायपालिका के बीच तकरार एक बार फिर बढ़ने की आशंका है। सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने उन सभी 43 नामों को बरकरार रखने की बात कही है जिसे सरकार ने खारिज करते हुए पुनर्विचार के लिए लौटा दिया था।

चीफ जस्टिस टी एस ठाकुर की बेंच ने शुक्रवार को अटॉर्नी जनरल मुकुल रहतोगी से कहा कि कोलेजियम ने एक बार सभी नामों पर विचार किया और इसे बरकरार रखने का फैसला किया है। मामले की अगली सुनवाई जनवरी में होगी। चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर ने सुनवाई के दौरान कहा, 'कोलेजियम ने एक बार फिर सभी नामों पर विचार किया। हमने उसे बरकरार रखने का फैसला किया है और सभी नामों को दोबारा सरकार के पास भेजा है।'

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बता दें कि केंद्र ने कोलेजियम की ओर से भेजे गए 77 नामों की सूची में 34 नामों पर मुहर लगाई थी जबकि 43 नामों को यह कहते हुए वापस भेज दिया था इनके चयन में समान मानदंड का पालन नहीं हुआ है। इन जजों की नियुक्ति हाई कोर्ट में होनी है।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट जजों की नियुक्ती में हो रही देरी पर सरकार को फटकार लगा चुकी है। सु्प्रीम कोर्ट ने यह तक कहा था कि कई अदालतों में पर्याप्त मात्रा में जज उपलब्ध नहीं हैं, ऐसे में क्यो न इन पर ताला लगा दिया जाए।

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गौरतलब है कि सरकार और न्यायपालिका के बीच तकरार तब सामने आई थी जब पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने जजों की नियुक्ति के लिए राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग बनाने के सरकार के फैसले को रद्द कर दिया था।