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नोटबंदी का झटका, देश में आमदनी और खर्च में आई कमी

नोटबंदी के बाद देश में आमदनी और खर्च में कमी आई है। लोकल सर्कल्स के सर्वे में देश के 220 जिलों के 15,000 लोगों की राय ली गई।

Updated on: 12 Dec 2016, 08:36 AM

highlights

  • नोटबंदी के बाद देश में आमदनी और खर्च में कमी आई है
  • लोकल सर्कल्स के सर्वे में देश के 220 जिलों के 15,000 लोगों की राय ली गई
  • सर्वे में शामिल 20 फीसदी लोगों ने कहा कि 8 नवंबर को नोटबंदी के बाद से उनके खर्च में कमी आई है

New Delhi:

नोटबंदी के बाद देश में आमदनी और खर्च में कमी आई है। लोकल सर्कल्स के सर्वे में देश के 220 जिलों के 15,000 लोगों की राय ली गई। सर्वे में शामिल 20 फीसदी लोगों ने कहा कि 8 नवंबर को नोटबंदी के बाद से उनके खर्च में कमी आई है।

प्रधानमंत्री मोदी ने 8 नवंबर की रात को 500 और 1000 रुपये के नोटों को अमान्य घोषित कर दिया था। पीएम के इस फैसले के बाद कई रेटिंग एजेंसियों ने भारत के जीडीपी अनुमान में कटौती कर दी है।

बुधवार को भारतीय रिजर्व बैंक ने समीक्षा बैठक के दौरान मौजूदा वित्त वर्ष के लिए जीडीपी के अनुमान को 7.6 फीसदी से घटाकर 7.1 फीसदी कर दिया है। वहीं पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी राज्यसभा में बोलते हुए कहा था कि नोटबंदी के फैसले से देश की जीडीपी में दो फीसदी की गिरावट आ सकती है।

सर्वेक्षण में कहा गया है कि लोगों को नोटबंदी की वजह से काफी परेशानी हो रही है।रिपोर्ट में कहा गया है, 'बैंकों और एटीएमों की कतार में काफी समय गंवाने के बाद भी लोगों को आसानी से नकदी नहीं मिल पा रही है। कुछ लोगों का कहना है कि इस कदम के बाद उनकी आमदनी घट गई है। वहीं, बड़ी संख्या में लोगों का कहना है कि इससे उन्हें अपने खर्च में भारी कटौती करनी पड़ी है।'

सर्वे में कहा गया है कि नोटबंदी से कुछ राज्य अन्य की तुलना में अधिक प्रभावित हुए हैं। बिहार, झारखंड और ओडिशा में लोगों की आय में गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पश्चिम बंगाल तथा केरल से अधिक की गिरावट आई है।

वहीं, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश तथा पंजाब में अधिक लोगों ने खर्च घटाया है। 50 प्रतिशत लोगों ने खर्च घटाने की पुष्टि की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि नोटबंदी के बाद से 90 प्रतिशत व्यापारियों का कारोबार घटा है। इनमें से 44 प्रतिशत के कारोबार में 30 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है।

नोटबंदी के फैसले के कारण देश भर में असंगठित क्षेत्र के कारोबार पर बुरा असर पड़ा है। नोटबंदी के फैसले के एक महीने से अधिक होने के बाद भी लोगों को नकदी नहीं मिल पा रही है।