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सतलज यमुना नहर विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई टाली

सतलज यमुना लिंक नहर विवाद काफी पुराना है।

Updated on: 15 Feb 2017, 04:50 PM

नई दिल्ली:

हरियाणा और पंजाब के बीच सतलज यमुना लिंक नहर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को होने वाली सुनवाई टाल दी। अब इस मामले पर अगली सुनवाई 22 फरवरी को होगी।

गौरतलब है कि सतलज यमुना लिंक नहर विवाद काफी पुराना है। पानी के हक को लेकर हरियाणा और पंजाब के बीच के इस विवाद की गंभीरता को इस बात से समझा जा सकता है कि पंजाब और हरियाणा विधानसभाओं में एक-दूसरे के खिलाफ निंदा प्रस्ताव तक पारित किया जा चुका है। पंजाब ने नहर के लिए ली गई किसानों की जमीनें भी वापस करने का प्रस्ताव पारित कर दिया है, जिसके बाद लोगों ने नहर को भरना शुरू कर दिया।

जानें क्या है सतलज यमुना नहर विवाद?

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पंजाब पुनर्गठन अधिनियम के तहत एक नवंबर 1966 को हरियाणा अलग राज्य बना, लेकिन पंजाब-हरियाणा के बीच पानी का बंटवारा नहीं हुआ। विवाद खत्म करने के लिए केंद्र ने अधिसूचना जारी कर हरियाणा को 3.5 एमएएफ पानी आवंटित कर दिया। इसी पानी को लाने के लिए 212 किमी लंबी सतलज यमुना कनाल लिंक नहर को बनाने का फैसला हुआ था। हरियाणा ने अपने हिस्से की 91 किमी नहर का निर्माण पूरा कर लिया, लेकिन पंजाब ने विवाद की वजह से इससे हाथ पीछे खींच लिए।

न्यायमूर्ति अनिल कुमार दवे की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही थी और उसने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। पांच सदस्यीय संविधान पीठ में न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष, न्यायमूर्ति शिवकीर्ति सिंह, न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और न्यायमूर्ति अमिताभ रॉय भी शामिल हैं। मामला 2004 के राष्ट्रपति संदर्भ से जुड़ा है।

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मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के निर्णय से ठीक पहले राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से दिल्ली में मुलाकात की। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार का नजरिया हरियाणा के हक में नजर आया है।