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समान नागरिक संहिता को लागू करने के लिए देश में अभी माहौल ठीक नहीं: नीतीश कुमार

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने समान नागरिक संहिता पर केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखकर इसे देशभर में लागू किए जाने से पहले व्यापक विचार-विमर्श की जरूरत बताई है।

Updated on: 12 Jan 2017, 09:46 PM

नई दिल्ली:

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने समान नागरिक संहिता पर केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखकर इसे देशभर में लागू किए जाने से पहले व्यापक विचार-विमर्श की जरूरत बताई है।

मुख्यमंत्री ने गुरुवार को विधि आयोग को लिखे एक पत्र में कहा है कि केंद्र सरकार को सभी संबंधित पक्षों से और अधिक विचार-विमर्श करना चाहिए। नीतीश ने विधि आयोग के लिखे पत्र में लिखा है, 'केंद्र सरकार को सभी संबंधित पक्षों से और अधिक विचार-विमर्श करना चाहिए। समान नागरिक संहिता लागू करने के पूर्व उस पर संसद में, राज्य की विधान सभाओं में और सिविल सोसाइटी के लोगों के साथ चर्चा होनी चाहिए।'

उन्होंने आगे कहा है, 'समान नागरिक संहिता को लागू करने में सरकार को जल्दबाजी नहीं दिखानी चाहिए। समझदारी इसी में है कि सभी धर्मो के लोगों को इस मुद्दे पर चर्चा करने दिया जाए और उसके बाद वह अपना पक्ष रख सकें।

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मुख्यमंत्री ने पत्र में मंत्रिपरिषद की बैठक का हवाला देते हुए लिखा है कि राज्य सरकार ने विभिन्न समुदायों के शादी-विवाह, विच्छेद, संपत्ति का अधिकार के संबंध में मौजूदा अलग-अलग कानून नियमों में बदलाव के उद्देश्य से अपनाई गई केंद्र की इस नीति को गलत ठहराया।

मीडिया की रिपोर्टों का जिक्र करते हुए पत्र में उल्लेख किया गया है, 'मुस्लिम समुदाय ने समान नागरिक संहिता को पूरी तरीके से नकार दिया है। कोई और धर्म भी समान नागरिक संहिता को लेकर अपनी आवाज नहीं उठा रहे हैं। समान नागरिक संहिता लागू किए जाने से पहले अन्य धर्मो के तमाम कानूनों को खारिज भी करना पड़ेगा।'

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चिट्ठी में नीतीश ने साफ तौर पर लिखा है कि देश के हालात अभी ऐसे नहीं हैं कि समान नागरिक संहिता को लागू किया जाए। सभी धर्मो के लोगों की रजामंदी से अगर समान नागरिक संहिता को लागू नहीं किया गया तो आगे चलकर 'सामाजिक कलह' देखने को भी मिल सकता है।

समान नागरिक संहिता लागू करने को लेकर विधि आयोग द्वारा राज्यों से पूछे गए 16 सूत्री सवालों के तरीकों पर भी नाराजगी जाहिर करते हुए नीतीश ने चिट्ठी में लिखा है कि सवालों को इस तरीके से तैयार किया गया है, जैसे जवाब देने वाले व्यक्ति को किसी एक पक्ष में जवाब देने का दबाव हो।