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नोटबंदी: इन वजहों से देश का अभी कैशलेस होना है मुश्किल

नोटबंदी के बाद कैश के लिए बैंकों और एटीएम के बाहर लोगों की लंबी लंबी कतारें नजर आती है। वहीं पीएम मोदी हर तरीके से लोगों को कैशलेस होने के लिए उत्साहित कर रहे हैं

Updated on: 03 Dec 2016, 07:12 PM

IANS:

नोटबंदी के बाद कैश के लिए बैंकों और एटीएम के बाहर लोगों की लंबी लंबी कतारें नजर आती है। वहीं पीएम मोदी हर तरीके से लोगों को कैशलेस होने के लिए उत्साहित कर रहे हैं।

बिजनेस स्टैंडर्ड के एक विश्लेषण के मुताबिक, देश में करीब 90 फीसदी लेनदेन नकद में होते हैं। इन दिनों टीवी, रेडियो पर कैशलेस ट्रांजिक्शन को बढ़ावा देने के लिए तरह तरह के ऐड कैंपेन चलाए जा रहे हैं ताकि लोग खरीददारी और लेन देने में ज्यादा से ज्यादा से ज्यादा डेबिट. क्रेटिड कार्ड, ई वॉलेट और मोबाइल वॉलेट का इस्तेमाल करें। लेकिन हमारे देश में इस वक्त लोगों के लिए कैशलेस हो जाना इतना भी आसान नहीं है।

जानिए वो कौन सी बड़ी दिक्कतें हैं जो लोगों को कैशलेस होने से रोक रही हैं।

1. देश में अभी 34.2 करोड़ इंटरनेट यूजर हैं, यानी 27 फीसदी आबादी (ट्राई ) ही इंटरनेट का इस्तेमाल कर रही है। 73 फीसदी आबादी या 91.2 करोड़ लोगों के पास इंटरनेट नहीं है। इंडियास्पेंड की मार्च की रिपोर्ट में बताया गया है कि इंटरनेट उपलब्ध कराने वाली कंपनियों का वैश्विक औसत 67 फीसदी है। इसमें भारत विकसित देशों से तो पीछे है ही, नाइजीरिया, केन्या, घाना और इंडोनेशिया से भी पिछड़ा हुआहै।

2. भारत में अभी सिर्फ 17 फीसदी लोग ही स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं। यह कम आमदनी वाले वर्ग में सिर्फ सात फीसदी और अमीरों में 22 फीसदी लोगों के पास स्मार्टफोन है।

3. मोबाइल इंटरनेट की धीमी स्पीड:भारत में पेज लोड होने का औसत समय 5.5 सेकेंड है, जबकि चीन में 2.6 सेकेंड और दुनिया में सबसे तेज इजरायल में 1.3 सेकेंड है। श्रीलंका और बांग्लादेश में भी भारत से ज्यादा 4.5 और 4.9 सेकेंड है।

4. देश में प्रति 10 लाख की आबादी पर महज 856 पीओएस मशीनें हैं। आरबीआई की अगस्त 2016 की रिपोर्ट के मुताबिक कुल 14.6 लाख पीओएस मशीनें हैं। ब्राजील जिसकी आबादी भारत से 84 फीसदी कम है, 39 गुणा अधिक पीओएस मशीनें हैं।

गौरतलब है कि भारत में जबतक इन तकनीकी समस्याओं को दूर नहीं किया जाएगा तब तक भारत में कैशलेस ट्रांजिक्शन को तेजी से लागू करने में कई मुश्किलें आएंगी।