ब्राह्मण होने के बावजूद आखिर क्यों दफनायी गयीं जयललिता,जानें वजह
मंगलवार को जब तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता का अंतिम संस्कार किया जा रहा था, तब कई लोगों के मन में सवाल उठे की आखिर दाह संस्कार की जगह उनको दफनाया क्यों गया।
highlights
- जयललिता को बुधवार उनके गुरु एमजी रामचंद्रन की समाधि के बगल में दफनाया गया
- दाह संस्कार की जगह दफनाने पर उठे कई सवाल
- द्रविड़ आंदोलन की पृष्ठभूमि के कारण दफनायी गयीं जयललिता
तमिलनाडु:
हिंदू रस्म और रीति रिवाज के अनुसार किसी व्यक्ति की मौत के बाद शरीर का दाह संस्कार किया जाता है। मंगलवार को जब तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता का अंतिम संस्कार किया जा रहा था, तब कई लोगों के मन में सवाल उठे की आखिर दाह संस्कार की जगह उनको दफनाया क्यों गया। जयललिता जन्म से ब्राह्मण थी ऐसें में सवाल उठना भी लाजमी था, तो जानतें हैं इसकी कुछ वजहें:
धर्म व जाति की पहचान से परे थी जयललिता
जयललिता के संबंध में भी यही तर्क दिया गया कि वह किसी जाति और धार्मिक पहचान से परे थीं। जन्म से ब्राह्मण जयललिता द्रविड़ आंदोलन से जुड़ी थी, जिसके बाद वो एक द्रविड़ पार्टी की प्रमुख बनीं, जिसकी नींव ब्राह्मणवाद के विरोध के लिए पड़ी थी।
दफनाना द्रविड़ का अभिन्न अंग माना जाता है। इसके पहले द्रविड़ मुनेत्र कड़गम के संस्थापक और मुख्यमंत्री सी.एन. अन्नादुरई और एआईएडीएमके के संस्थापक एमजी रामचंद्रन के पार्थिव शरीर को भी मरीना बीच पर ही दफनाया गया था।
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द्रविड़ मूवमेंट में जुड़ा होना
विशेषज्ञों के अनुसार इसकी सबसे बड़ी वजह जयललिता का द्रविड़ मूवमेंट से जुड़ा होना है। द्रविड़ आंदोलन जो हिंदू धर्म के किसी ब्राह्मणवादी परंपरा और रस्म में यकीन नहीं रखता। अन्नाद्रमुक के सदस्य जयललिता को आयंगर के रूप में नहीं, अपनी अम्मा के रूप में देखते थे और किसी भी जाति या धर्म से ऊपर मानते थे। जिसकी वजह से उनके पार्थिव शरीर को द्रविड़ रीति रिवाज के अनुसार क्रियाकर्म किया गया।
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एमजीआर की समाधी के साथ बनेगा स्मारक
ठीक उसी विरासत को आगे बढ़ाते हुए जयललिता को एमजीआर की समाधी के बगल में दफनाया गया। साथ ही बगल में उसी तरह का स्मारक जयललिता के लिए भी बनना है। जयललिता के रिश्तेदारों और उनकी विश्वासपात्र रही शशिकला ने उन्हें दफनाए जाने पर कोई आपत्ति नहीं की। जयललिता के भतीजे दीपक जयकुमार ने उनका अंतिम संस्कार किया।
हिंदू रीति के अनुसार किसी रक्त संबंधी का होना जरुरी
हालांकि कुछ लोगों का कहना है कि हिंदू परंपरा के मुताबिक मुखाग्नि देने के लिए किसी रक्त संबंधी रिश्तेदार की जरूरत होती है। जयललिता के निकट रिश्तेदारों में केवल दिवंगत भाई जयकुमार की बेटी दीपा जयकुमार ही हैं। जिनसे पिछले कई सालों से मेलजोल नहीं है।
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