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26/11 आतंकी हमला: जानिए ताज होटल को आतंकियों के कब्जे से छुड़ाने में क्यों लगे 72 घंटे ?

26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए आतंकी हमले में 166 निर्दोष लोग मारे गए थे।

Updated on: 26 Nov 2016, 10:43 AM

नई दिल्ली:

26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए आतंकी हमले में 166 निर्दोष लोग मारे गए थे। ये हमला पाकिस्तान से आए आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के 10 खूंखार आतंकियों ने किया था। 

आतंकियों के खिलाफ एनएसजी का ऑपरेशन ब्लैक टोरनेडो  तीन दिन लंबा न खिंचता अगर आतंकी 105 साल पुराने महाराष्ट्र के सबसे महंगे, आलीशान और बड़े होटल ताजमहल पैलेस में ना छुपे होते।  

आतंकी हमले से होटल को भी काफी नुकसान पहुंचा और हमले के बाद करीब दो सालों तक इस होटल को मरम्मत के लिए बंद रखना पड़ा था।

जानते हैं आखिर आतंकियों के कब्जे से होटल को छुड़ाने में 72 घंटे से भी ज्यादा का समय क्यों लगा?

1.ज्यादा से ज्यादा लोगों को नुकसान पहुंचाने के लिए आतंकियों ने होटल ताज में गोलीबारी शुरू कर दी। उन्होंने होटल में मौजूद पर्यटक, विदेशी नागरिकों और होटल कर्मचारियों को बंधक बना लिया।
2. होटल में बंधक बनाए गए लोगों को आतंकी अपने बचाव में हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने लगे।
3. आतंकी सुरक्षा बलों पर गोली चलाकर इन बंधकों के पीछे छुप जाते थे। बंधकों को बचाने के लिए सुरक्षाबल और एनएसजी एहतियातन फायरिंग नहीं कर पा रहे थे।
4.27 नवंबर की देर शाम आतंकियों ने ताज होटल के जीएम की पत्नी और उनके तीन बच्चों की हत्या कर दी ताकि सुरक्षाकर्मी और एनएसजी के कमांडो डर कर उन पर गोली ना चलाएं।
5.अब एनएसजी के लिए दोहरी चुनौती थी। एक तो उन्हें पहले बंधकों को छुड़ाना और फिर आतंकियों को मारना था।
6.एनएसजी के कमांडो होटल के अंदर ना घुस सकें इसलिए आतंकियों ने अंदर आने वाले सभी रास्तों को या तो बंद कर दिया था या फिर वहां आग लगा दी।
7.सुरक्षाकर्मियों को आतंकी लगातार इस बात से डरा रहे थे कि अगर उन्होंने होटल के अंदर आने की कोशिश की तो वो और बंधकों की हत्या कर देंगे।
8. आतंकियों ने 72 घंटों में होटल में करीब 25 बंधकों को मौत के घाट उतार दिया था।
9. आतंकियों की परवाह किए बिना सबसे पहले एनएसजी ने होटलों में बंधक बनाए गए सैकड़ों मेहमानों को सुरक्षित निकालने का फैसला किया और फायरिंग को रोककर वो पहले होटले में फंसे मेहमानों का रेस्क्यू करने लगे।
10. जब एनएसजी ने ये पक्का कर लिया कि अब होटल में कोई बंधक नहीं है तब उन्होंने आतंकियों को मार गिराने के लिए कार्रवाई शुरू कर दी।
11.मुठभेड़ के दौरान आतंकियों ने होटल में 24 धमाके किए ताकि एनएसजी और सुरक्षाबलों को नुकसान पहुंचाया जा सके।
12.28 नवंबर को पूरे दिन आतंकियों और एनएसजी के बीच गोलीबारी होती रही।
13.अब आतंकियों से सीधे लोहा लेने के लिए एनएसजी ने नेवी के हेलिकॉप्टर की मदद से अपने कमांडो को ताज होटल से सटे इमारत पर उतारा जिसके बाद होटल में घुसकर एनएसजी ने सभी आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया।