संसद पर हमले का मास्टरमाइंड अफजल गुरू के गिरफ्तार होने से फांसी मिलने तक की कहानी
सुप्रीम कोर्ट ने 4 अगस्त, 2005 को उसे फांसी की सजा सुनाई थी।
नई दिल्ली:
संगीत और गालिब की शायरी में दिलचस्पी रखने वाला अफजल गुरू कभी भारत के लोकतंत्र पर खूनी खेल की साजिश रचेगा यह बात किसने सोची थी। 13 दिसंबर 2001 मे संसद पर हुए हमले की साजिश रचने के आरोप में अफजल गुरू को दिल्ली पुलिस ने 15 दिसम्बर 2001 को गिरफ़्तार किया था। जिसके बाद 9 फरवरी, 2013 को सुबह 8 बजे उसे दिल्ली की तिहाड़ जेल में फांसी पर लटका दिया गया। आइये आपको बताते हैं कि अफजल गुरू की गिरफ्तारी के बाद से फांसी दिये जाने तक क्या कुछ हुआ।
-सुप्रीम कोर्ट ने 4 अगस्त, 2005 को उसे फांसी की सजा सुनाई थी। कोर्ट ने आदेश दिया था कि 20 अक्तूबर, 2006 को अफजल को फांसी पर लटका दिया जाए।
-3 अक्तूबर, 2006 को अफजल की पत्नी तब्बसुम ने राष्ट्रपति के पास दया याचिका दाखिल कर दी। राष्ट्रपति ने इस दया याचिका पर गृह मंत्रालय से राय मांगी।
-गृह मंत्रालय ने इसे दिल्ली सरकार को भेज दिया, जहां दिल्ली सरकार ने इसे खारिज कर दिया। गृह मंत्रालय ने भी दया याचिका पर फैसला लेने में समय लगाया, लेकिन मंत्रालय ने अपनी फाइल राष्ट्रपति के पास भेज दी।
-3 फरवरी, 2013 को राष्ट्रपति ने अफजल की दया याचिका खारिज कर दी जिसके बाद कैबिनेट समिति की बैठक में अफजल को फांसी दिए जाने की अंतिम तैयारी पर मुहर लगा दी गई।
-इसके बाद फांसी घर में अफजल की हाइट मापी गई और वजन भी तौला गया। इसके बाद डॉक्टरों ने उसका ब्लड प्रेशर चेक किया। जेल अधिकारियों ने उससे पूछा कि अगर कोई चीज़ चाहिए हो तो बता दे। इस पर अफजल ने उनसे कुरान मांगा।
-9 फरवरी, 2013 को अफजल गुरु को सुबह 8 बजे दिल्ली की तिहाड़ जेल में फांसी पर लटका दिया गया।
- गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने अफजल को फांसी दिए जाने के बाद बताया कि अफजल गुरु को सुबह आठ बजे फांसी दी गई। अफजल गुरु को तिहाड़ जेल में ही दफनाया गया। उसके शव पर किसी ने दावा नहीं किया। लिहाजा, जेल मैनुअल के तहत उसे वहीं दफन कर दिया गया।
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