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जैश सरगना मसूद अजहर पर बैन के अमेरिकी प्रस्ताव को रोकने का चीन ने किया बचाव

चीन ने मुंबई और पठानकोठ आतंकी हमले के मास्टरमाइंड और जैश-ए-मोहम्मद सरगना मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र में अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने के अमेरिकी प्रस्ताव को रोकने के अपने फैसले का बचाव किया।

Updated on: 08 Feb 2017, 06:17 PM

नई दिल्ली:

चीन ने मुंबई और पठानकोठ आतंकी हमले के मास्टरमाइंड और जैश-ए-मोहम्मद सरगना मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र में अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने के अमेरिकी प्रस्ताव को रोकने के अपने फैसले का बचाव किया।

चीन ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने के संबंध में मापदंडों को पूरा नहीं किया गया था। अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने के प्रयास को चीन ने तीसरी बार रोके जाने से संबंधित सवालों के जवाब में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने मीडिया से कहा कि बीजिंग ने यह कदम इसलिए उठाया ताकि इससे जुड़े पक्ष आम सहमति पर पहुंच सकें।

लू ने कहा, पिछले साल संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 सैंक्शन्स समिति ने मसूद को प्रतिबंध की सूची में डालने के संबंध में चर्चा की थी। लेकिन इस पर अलग-अलग विचार आए और कोई आम सहमति नहीं बन पाई।

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जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को आतंकी घोषित करने के लिए पिछले साल भारत ने प्रयास किए थे लेकिन उस पर प्रतिबंध लगाने की कवायद इस बार इसलिए अहम है क्योंकि अब इस पर अमेरिका दबाव बना रहा है।

इस बारे में जब पूछा गया तो प्रवक्ता ने कहा, 'मैं यह बताना चाहता हूं कि समिति में चर्चा के अपने नियम-कायदे हैं।' उन्होंने कहा, 'इसका अनुरोध चाहे जो करे लेकिन हमारा मानना है कि समिति के सभी सदस्य सुरक्षा परिषद के नियमों और संबद्धताओं के अनुरूप ही कदम उठाएंगे।' उनसे पूछा गया कि क्या इसका भारत-चीन संबंधों पर असर पड़ेगा तो उन्होंने कहा इस मुद्दे पर नई दिल्ली और पेइचिंग अपने विचार साझा कर चुके हैं।

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चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने कहा कि मसूद अजहर के मुद्दे पर भारत-चीन संबंधों पर नकारात्मक असर नहीं पड़ेगा।

कांग ने इस आरोप को खारिज किया कि चीन पाकिस्तान के कहने पर ऐसा कर रहा है। उन्होंने कहा, "सुरक्षा परिषद में चीन द्वारा उठाया गया कदम और इसकी संबद्धताएं नियमों और प्रक्रियाओं के अनुरूप ही हैं।"

मसूद को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने के अमेरिकी प्रस्ताव पर चीन ने रोक लगा रखी है। इससे कुछ ही हफ्तों पहले दिसंबर 2016 में भारत ने अजहर को संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंध की सूची में शामिल करवाने की कोशिश की थी जिस पर बीजिंग ने पानी फेर दिया था। जिसके बाद भारत ने इस मुददे को चीन की सरकार के समझ उठाया था।