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दिसंबर के तीसरे हफ्ते में डूबा 2.5 लाख करोड़ रुपये, बाजार के लिए आगे भी राहत नहीं

पिछला हफ्ता शेयर बाजार में पैसा लगाने वाले निवेशकों के लिए बेहद बुरा साबित हुआ। शुक्रवार को आई मामूली बढ़त के अलावा बाकी दिन शेयर बाजार लाल निशान में बंद हुआ।

Updated on: 25 Dec 2016, 05:09 PM

highlights

  • पिछला हफ्ता शेयर बाजार में पैसा लगाने वाले निवेशकों के लिए बेहद बुरा साबित हुआ
  • बाजार में आई गिरावट की वजह से निवेशकों को पिछले हफ्ते 2.5 लाख करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा

New Delhi:

पिछला हफ्ता शेयर बाजार में पैसा लगाने वाले निवेशकों के लिए बेहद बुरा साबित हुआ। शुक्रवार को आई मामूली बढ़त के अलावा बाकी दिन शेयर बाजार लाल निशान में बंद हुआ। बाजार में आई गिरावट की वजह से निवेशकों को पिछले हफ्ते 2.5 लाख करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा।

पिछले हफ्ते बीएसई का बाजार पूंजीकरण 2.5 लाख करोड़ रुपये कम होकर 103 लाख करोड़ रुपये हो गया। कमजोर वैश्विक संकेतों और अमेरिकी फेडरली की तरफ से ब्याज दरों में बढ़ोतरी किए जाने की वजह से भारत समेत एशियाई बाजार से निवेशकों का पैसा निकलना जारी रहा। 

फेडरल रिजर्व की तरफ से ब्याज दरों में बढ़ोतरी किए जाने और डोनाल्ड ट्रंप के संरक्षणवादी नीतियों को बढ़ावा दिए जाने के मकसद की वजह से निवेशक अमेरिकी स्टॉक्स औऱ बॉन्ड में पैसा लगा रहे हैं, जिसकी वजह से एशिया समेत भारतीय बाजार में बिकवाली का दौर जारी है।

बाजार के लिए नियर टर्म में कोई घरेलू ट्रिगर भी नहीं दिख रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शेयर बाजार से होने वाली कमाई पर टैक्स लगाए जाने का संकेत बाजार की चाल बिगाड़ सकता है।

हालांकि भारतीय शेयर बाजार के लिए सबसे बड़ी राहत बजट में होने वाली घोषणाएं होंगी। वित्त मंत्री अरुण जेटली साफ कर चुके हैं कि अगले साल के बजट में कोई लोक-लुभावन घोषणाएं नहीं की जाएंगी।

बाजार के लिए इस घोषणा के मायने अहम है लेकिन 2017 में होने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए सरकार की तरफ से लोकलुभावन घोषणाओं से दूरी बनाने की संभावना कम ही नजर आती है।

नोटबंदी के बाद खुदरा महंगाई दर में कमी आई है जो अगली बैठक में भारतीय रिजर्व बैंक को ब्याज दरों में कटौती का रास्ता दे सकती है। नियर टर्म में आरबीआई की बैठक शेयर बाजारों के लिए बड़ा ट्रिगर होगा। नोटबंदी की डेडलाईन 31 दिसंबर को खत्म हो रही है। नोटबंदी के फैसले के 50 दिनों की डेडलाइन में अर्थव्यवस्था को अच्छा-खासा नुकसान हुआ है।

नोटबंदी की वजह से कारोबार को हुए नुकसान की भरपाई के लिए सरकार 30 दिसंबर के बाद कुछ नए प्रोत्साहन उपायों की घोषणा कर सकती है जो शेयर बाजार की बिगड़ी चाल को गति देने का काम करेगा। जीएसटी एक्ट बाजार के लिए सबसे बड़ा ट्रिगर साबित हो सकता है लेकिन 1 अप्रैल 2017 की तय समयसीमा से पहले इसे लागू किए जाने की संभावना न के बराबर है।