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दशहरी आमों के बाद अमरूद की नर्सरी के लिए मशहूर हुआ मलिहाबाद

पिछले दो तीन साल से मलिहाबाद आम के साथ ही अपने अमरूदों के पेड़ों की नर्सरी के लिए देश भर में ख्याति बटोर रहा है

Updated on: 22 Feb 2019, 08:51 AM

लखनऊ:

मलिहाबाद (Malihabad) पूरी दुनिया में अपने दशहरी आमों और उनके बागान के लिए मशहूर है. मलिहाबाद से दशहरी आम के पेड़ नर्सरी से पूरे देश मे निर्यात होते हैं, जिनसे मलिहाबाद के बागबान को अच्छी आमदनी भी हासिल होती है, लेकिन पिछले दो तीन साल से मलिहाबाद आम के साथ ही अपने अमरूदों के पेड़ों की नर्सरी के लिए देश भर में ख्याति बटोर रहा है. मलिहाबाद में तैयार अमरूद के पेड़ों के मांग पूरे भारत मे तेजी से बढ़ रही है. यही वजह है कि मलिहाबाद में आम के बागों के साथ ही अमरूद के पेड़ों की नर्सरी भी हर जगह दिखाई पड़ने लगी है.

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आम की 300 से ज्यादा नई किस्मों के ईजाद का दावा करने वाले पद्मश्री हाजी कलीमुल्ला भी अपनी नर्सरी में अमरूद के हज़ारों पेड़ उगा रहे हैं और उनकी देखभाल करते भी नजर आते हैं. कलीमुल्ला का कहना है कि मलिहाबाद से अमरूद के पेड़ों की मांग गुजरात, राजस्थान और दक्षिण भारत के राज्यों में तेजी से बढ़ रही है और हर साल करोड़ों पेड़ मलिहाबाद से इन राज्यों में निर्यात हो रहे हैं.

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दशहरी का एक छोटा पौधा जहां अधिकतम 50 रुपये का बिकता है वहीं अमरूद के कलम किये पौधे के 80 से 100 रुपये तक आसानी से मिल जाते हैं. लागत और देखभाल कम, मुनाफा ज्यादा, यही वजह है कि अमरूद की नर्सरी मलिहाबाद में तेजी से पॉपुलर हो रही है. इसके साथ ही आम और अमरूद के दामों में अंतर भी देश मे अमरूदों के बागों में इजाफे की बड़ी वजह है. सीजन में दशहरी जहां 15 से 20 रुपये/kg के दाम में बिकता है.

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वहीं अमरूद के दाम 40 रुपये/kg से नीचे जा ही नहीं रहे, यही वजह है कि अब आम के लिए मशहूर मलिहाबाद अमरूद की दुनिया मे भी अपनी पहचान तेजी से बनाता जा रहा है.

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