जानें अयोध्या में राम मंदिर के लिए किस सरकार ने लाया था अध्यादेश
इस समय राम की नगरी अयोध्या में सियासत गरम है. रामंदिर निर्माण को लेकर आज वहां धर्मसभा हो रही है.
नई दिल्ली:
इस समय राम की नगरी अयोध्या में सियासत गरम है. रामंदिर निर्माण को लेकर आज वहां धर्मसभा हो रही है. शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के आह्वान पर हजारों शिवसैनिकों के अलावा देश भर से लाखों लोग वहां पहुंच चुके हैं. लोगों की मांग है कि राममंदिर बनाने के लिए सरकार अध्यादेश लाए. अयोध्या राम मंदिर बनाने को लेकर अध्यादेश लाना कोई बड़ी बात नहीं है. 25 साल पहले कांग्रेस की नरसिम्हा राव सरकार राम मंदिर को लेकर अध्यादेश लाई थी. दूसरी ओर, केंद्र सरकार का अभी इस बारे में कोई स्पष्ट रुख सामने नहीं आया है. हालांकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विश्व हिन्दू परिषद के अलावा तमाम हिंदूवादी संगठन इस बारे में केंद्र सरकार से मांग कर रहे हैं. खासकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा अगले साल तक के लिए सुनवाई टाले जाने के बाद अध्यादेश को लेकर आवाज बुलंद हुई है.
यह भी पढ़ें : अयोध्या में बनने वाली राम की प्रतिमा का मॉडल हुआ जारी, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी से भी होगी ऊंची
6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद विध्वंस के करीब एक माह बाद जनवरी में तत्कालीन पीवी नरसिम्हा राव की सरकार राम मंदिर बनाने के लिए अध्यादेश लेकर आई थी. अध्यादेश के अनुसार, 60.70 एकड़ जमीन का केंद्र सरकार अधिग्रहण करने जा रही थी. तत्कालीन राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने 7 जनवरी 1993 को अध्यादेश को मंजूरी भी दे दी थी. इसके बाद तत्कालीन गृह मंत्री एसबी चौहान ने संसद में बिल पेश किया था. इसे अयोध्या एक्ट का नाम दिया गया था.
यह भी पढ़ें : Google Trend में शिवराज का जलवा, ज्योतिरादित्य सिंधिया और योगी आदित्यनाथ पीछे छूटे
बिल पेश करते हुए चौहान ने कहा था, ‘देश में सांप्रदायिक सौहार्द्र बनाए रखने और देश के लोगों के बीच आपसी भाईचारा बनाए रखने के लिए ऐसा करना जरूरी है.’अध्यादेश और बाद में पेश किए गए बिल में विवादित जमीन के अधिग्रहण की बात कही गई थी और उस जमीन पर राम मंदिर बनाए जाने का प्रस्ताव था. नरसिम्हा राव की सरकार ने 60.70 एकड़ भूमि अधिग्रहण किया था. तब सरकार का इरादा वहां राम मंदिर, एक मस्जिद, एक लाइब्रेरी, एक संग्रहालय बनाने का था.
यह भी पढ़ें : 5 Points में समझें, सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की सुनवाई की बड़ी बातें
सरकार के इस कदम का तब बीजेपी ने कड़ा विरोध किया था. दूसरी ओर मस्लिम संगठनों ने भी इसके विरोध में झंडा बुलंद कर दिया था. नरसिम्हा राव की अल्पमत की सरकार ने तब सुप्रीम कोर्ट से संविधान की धारा 143 के तहत सलाह मांगी थी. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एमएन वेंकटचेलैया, जस्टिस जेएस वर्मा, जस्टिस जीएन रे, जस्टिस एएम अहमदी और जस्टिस एसपी भरूचा की पीठ ने सरकार की बात सुनी पर कोई रेफरेंस देने से इन्कार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या एक्ट 1994 की व्याख्या करते हुए बहुमत के आधार पर विवादित जगह के जमीन संबंधी मालिकाना हक (टाइटल सूट) से संबंधित कानून पर स्टे लगा दिया था.
अभी सरकार से हो रही अध्यादेश की मांग
भले ही केंद्र सरकार ने अध्यादेश लाने के बारे में अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है, लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व हिन्दू परिषद के अलावा तमाम हिन्दुवादी संगठनों और साधु-संतों ने इस बारे में सरकार से पहल करने की मांग की है. सरकार के कुछ मंत्री भी दबे स्वर में राम मंदिर के पक्ष में लगातार बयान दे रहे हैं. दूसरी ओर, कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करने की बात कह रही है.
लोकसभा चुनाव से पहले सरकार के लिए अंतिम मौका
राम मंदिर को लेकर अध्यादेश और विधेयक लाने को लेकर सरकार के पास अब बहुत अधिक अवसर नहीं है. चुनाव से पहले अंतिम बार संसद का मानसून सत्र बुलाया जाना है. इसके बाद लेखानुदार पारित कराने के लिए एक संक्षिप्त सत्र बुलाया जा सकता है. इस तरह सरकार के पास अब बहुत मौके नहीं हैं.
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Hanuman Jayanti 2024: हनुमान जयंती पर गलती से भी न करें ये काम, बजरंगबली हो जाएंगे नाराज
-
Vastu Tips For Office Desk: ऑफिस डेस्क पर शीशा रखना शुभ या अशुभ, जानें यहां
-
Aaj Ka Panchang 20 April 2024: क्या है 20 अप्रैल 2024 का पंचांग, जानें शुभ-अशुभ मुहूर्त और राहु काल का समय
-
Akshaya Tritiya 2024: 10 मई को चरम पर होंगे सोने-चांदी के रेट, ये है बड़ी वजह