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मायावती के जन्मदिन पर टिकी हैं कई पार्टी की नजरें, लोकसभा चुनाव के लिए हो सकता है बड़ा ऐलान

मायावती गठबंधन को लेकर हमेशा से यह कहती रही हैं कि सम्मानजनक स्थिति पर ही वह समझौता करेंगी.

Updated on: 31 Dec 2018, 02:00 PM

लखनऊ:

उत्तर प्रदेश में महागठबंधन को समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ही चर्चा में बनाए रखते हैं. जबकि बहुजन समाज पार्टी (बसपा) इस मसले पर खुद को परेशान नहीं दिखाना चाहती. इसके पीछे शायद बसपा प्रमुख मायावती की सोची समझी रणनीति है. वह यह दिखाना चाहती है कि गठबंधन की ज्यादा जरूरत सपा को है. मायावती भविष्य में क्या करेंगी, यह देखना होगा. यह कयास लगाए जा रहे हैं कि मायावती अपने जन्मदिन पर गठबंधन को लेकर कोई संदेश दे सकती हैं.

बहुजन समाज पार्टी के एजेंडे में मायावती के जन्मदिन का बहुत महत्व होता है. राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती का जन्मदिन 15 जनवरी को पड़ता है. इस बार उनके जन्मदिवस पर अन्य राजनीतिक दलों की भी निगाहें रहेंगी क्योंकि ऐसी चर्चा है कि वह इस दिन महागठबंधन का ऐलान कर सकती हैं. हलांकि अभी यह बात पुख्ता तौर पर नहीं कही जा सकती लेकिन फिर भी राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि मायावती गठबंधन को लेकर कोई संदेश दे सकती हैं.

मायावती गठबंधन को लेकर हमेशा से यह कहती रही हैं कि सम्मानजनक स्थिति पर ही वह समझौता करेंगी. अब देखना यह होगा कि मायावती अपने जन्मदिन के मौके पर गठबंधन को लेकर क्या संदेश देती हैं.

वरिष्ठ पत्रकार राजीव श्रीवास्तव की मानें तो जन्मदिवस पर मायावती अभी कुछ ऐसी घोषणा करने वाली नहीं हैं क्योंकि अभी कोई भी ऐसी बैठक नहीं हुई जिसमें सीटों को लेकर चर्चा हुई हो. अभी कौन कहां से लड़ेगा, यह भी पता नहीं है. बसपा-सपा गठबंधन को लेकर चर्चाएं ही चल रही हैं, लेकिन दोनों पार्टियों की तरफ से इस पर स्थिति अभी पूरी तरह से साफ नहीं की गई है. कौन कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगा, यही नहीं अगर गठबंधन हुआ तो बसपा, सपा के अलावा और कौन सी पार्टियां साथ होंगी, गठबंधन में कांग्रेस की स्थिति क्या होगी, इन सब मुद्दों पर चर्चा होना अभी बाकी है.

उन्होंने कहा कि प्रदेश में हाल में कई छोटे दल भी लोकसभा चुनाव तक एक आकार लेते दिख रहे हैं. शिवपाल यादव की पार्टी हो या राजा भइया या फिर अनुप्रिया पटेल की पार्टी, यह लोग किस ओर रुख करते हैं, यह भी मायने रखेगा. हालांकि मायावती बहुत समझदार नेता हैं. जब तक पूरी बात तय ना हो जाए वह गठबंधन पर निर्णय नहीं लेंगी. जन्मदिवस के अवसर राजनीतिक दलों की निगाहें जरूर रहेंगी. लेकिन, अभी गठबंधन की घोषणा होना जल्दबाजी होगी. ऐसा कोई डेवलपमेंट इन-दिनों होता नहीं दिखा है.

इस बारे में राजनीतिक विश्लेषक डॉ. दिलीप अग्निहोत्री की मानें तो मायावती जल्दबाजी दिखाने के चक्कर में नहीं है. जैसी कि उनकी अभी तक की कार्यशैली रही है, वह अपने को सपा से ऊपर रखना चाहती हैं. उन्होंने गठबंधन को लेकर कोई लचक नहीं दिखाई है. लचक तो अखिलेश ही दिखा रहे हैं. वह चाहती हैं कि सपा उनकी बी टीम के रूप में दिखाई दे. वह पहले भी कह चुकी हैं कि ना वह किसी की बुआ हैं ना कोई उनका भतीजा है. वह अपने को सर्वमान्य मानती हैं क्योंकि भविष्य में अगर मौका मिलेगा तो वह प्रदेश की मुख्यमंत्री बनना चाहेंगी.

मायावती जनवरी के पहले सप्ताह में राजधानी लखनऊ पहुंच जाएंगी. जन्मदिन के मौके पर वह दलित मूवमेंट ऑफ मायावती पुस्तक यानी ब्लू बुक का विमोचन भी करती हैं. उनका जन्मदिन धूमधाम से मनाया जाता है. इस मौके पर वह पार्टी व संगठन के लोगों को संदेश देती हैं. इस बार उनका जन्मदिन लोकसभा चुनाव से ठीक पहले पड़ रहा है. ऐसे में बहुत सारे राजनीतिक हलकों में यह जन्मदिवस चर्चा में है.