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आजाद भारत की सबसे ज्यादा तकलीफ देने वाली सरकार है मोदी सरकार: मायावती

मोदी की सरकार ने ना तो साल 2004 के 'इंडिया शाइनिंग' से कुछ सबक सीखा है और ना ही उत्तर प्रदेश के अपने सांसदों की फीडबैक से।

Updated on: 18 Dec 2016, 10:06 AM

लखनऊ:

बसपा प्रमुख मायावती ने शनिवार को एक बार फिर केंद्र सरकार पर हमला बोला है। मायावती ने कहा है कि मोदी सरकार देश की लगभग 90 प्रतिशत आम जनता को आजाद भारत की सबसे ज्यादा दुख व तकलीफ देने व 'उनके चेहरों का नूर उतारने' वाली सरकार साबित हुई है।

नोटबंदी से लोगों को हो रही परेशानी पर टिप्पणी करते हुए मायावती ने कहा, 'जनहित व जनकल्याण के प्रति ऐसी बेपरवाह व गैर-जिम्मेदार सरकारों को जनता कभी भी माफ नहीं करती है।'

बसपा अध्यक्ष ने मोदी सरकार पर जनता के साथ 'इंडिया शाइनिंग' जैसी अटखेलियां करने का आरोप भी लगाया है।

मायावती ने एक बयान में कहा कि भाजपा के नेतागण व केंद्र की भाजपा सरकार एवं उनके मंत्रीगण नोटबंदी के अभूतपूर्व फैसले की वैसी ही वाहवाही कर रहे हैं जैसे इनकी पूर्व की केंद्र की सरकार में 'इंडिया शाइनिंग' की वाहवाही करके देश की आमजनता की दुख-तकलीफों का मजाक उड़ाया गया था।

उन्होंने कहा, "भाजपा व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने ना तो साल 2004 के 'इंडिया शाइनिंग' से कुछ सबक सीखा है और ना ही उत्तर प्रदेश के अपने सांसदों की फीडबैक से सबक सीखने की कोशिश कर रहे हैं। नोटबंदी से भारत एक संकटग्रस्त देश बन गया है, जहां लोग अपनी कमाई के पैसे पाने के लिए भी तरस गए हैं।"

भाजपा के शीर्ष नेतृत्व व केंद्रीय मंत्रीगण बसपा सहित उन विपक्षी पार्टियों की आलोचना कर रहे हैं व कह रहे हैं कि नोटबंदी से आमजनता की नहीं, बल्कि प्रतिपक्षी पार्टी के नेताओं की 'हवाइयां' उड़ी हुई हैं। भाजपा व उसकी सरकार की इस प्रकार की जनउपेक्षा व अहंकारी रवैया अति-निंदनीय है तथा बसपा इसकी तीव्र निंदा करती है।

मायावती ने कहा, "वास्तव में पूरे देश में बैंकों व एटीएम के बाहर लंबी कतार में खड़े मेहनतकश लोगों की मुसीबत कम होने को नाम ही नहीं ले रही है। उन्हें वह थोड़ा पैसा भी अपने निजी खर्च के लिए नहीं मिल पा रहा है, जिसका वादा सरकार ने नोटबंदी के समय में किया था। यह सरकार की घोर विफलता नहीं तो और क्या है?"

उन्होंने कहा, "लोगों का धैर्य अब खत्म होता जा रहा है, अब यह कानून- व्यवस्था की नई समस्या में बदलता जा रहा है और उन्हें पुलिस के डंडे भी खाने पड़ रहे हैं। इस मामले में उत्तर प्रदेश की सपा सरकार का रवैया भी जनसहयोग का नहीं, बल्कि अपनी पुरानी मित्र व सहयोगी पार्टी भाजपा के साथ सुर में सुर मिलाने का ही लगता है।"