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राम मंदिर पर मोदी सरकार की याचिका से राजनीति गरमाई, मायावती ने बताया चुनावी एजेंडा

मोदी सरकार के सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर के लिए गैर विवादित जमीन का कुछ हिस्सा रामजन्म भूमि न्यास को दिए जाने की मांग को बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) प्रमुख मायावती ने चुनावी एजेंडा करार दिया है

Updated on: 30 Jan 2019, 12:30 PM

नई दिल्ली:

मोदी सरकार के सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर के लिए गैर विवादित जमीन का कुछ हिस्सा रामजन्म भूमि न्यास को दिए जाने की मांग को बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) प्रमुख मायावती ने चुनावी एजेंडा करार दिया है. मायावती ने याचिका को लेकर केंद्र सरकार पर हमला बोलेत हुए कहा, राम मंदिर मामले में इस तरह जबरदस्ती सरकारी अड़चने पैदा करने और लोगों की भावनाएं भड़काने के लिए बीजेपी का चुनावी एजेंडा है. गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने मंगलवार को बड़ा कदम उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दाखिल की है. अर्जी में सरकार ने अयोध्‍या में जमीन का कुछ राम जन्‍मभूमि न्‍यास को देने की बात कही है. सरकार का कहना है कि 67 एकड़ जमीन अधिग्रहण किया गया था, जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति बरकरार रखने का आदेश दिया है.

जमीन का विवाद सिर्फ 2.77 एक़ड़ का है, बाकी जमीन पर कोई विवाद नहीं है. इसलिए उस पर यथास्थित बरकरार रखने की जरूरत नहीं है. सरकार चाहती है कि जमीन का कुछ हिस्सा राम जन्भूमि न्यास को दिया जाए और सुप्रीम इसकी इज़ाजत दे. केंद्र सरकार इस अर्ज़ी को लेकर चीफ जस्टिस की कोर्ट में मेंशनिंग कर सकती है. रामजन्म भूमि न्यास पहले ही सुप्रीम कोर्ट में अर्ज़ी दायर कर गैर विवादित ज़मीन को उसके मालिकों को लौटाने की मांग रख चुका है. इस्माइल फारुखी फैसले में सुप्रीम कोर्ट ख़ुद कह चुका है कि इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला आने के बाद गैर विवादित ज़मीन को उनके मालिकों को लौटाने पर विचार कर सकती है. इस अर्ज़ी में सरकार का कहना है कि इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला आ चुका है. मुख्य भूमि विवाद SC में पेंडिंग है. लिहाजा गैर विवादित ज़मीन को कब्ज़े में रखने का कोई औचित्य नहीं है. उसे उनके मालिकों को लौटा देना चाहिए.

इस बारे में ट्वीट करते हुए बीजेपी के वरिष्‍ठ नेता सुब्रमण्‍यम स्‍वामी ने एक ट्वीट में कहा- केंद्र सरकार राम जन्‍मभूमि के 67 एकड़ के गैर विवादित हिस्‍से को रिलीज करने के संबंध में सुप्रीम कोर्ट गई है, ताकि वहां जल्‍द से जल्‍द निर्माण शुरू हो सके. एक दिन पहले गृह मंत्री राजनाथ सिंह के साथ मेरी हुई बैठक में इस बारे में मैंने अपनी राय रखी थी. सरकार चाहती है कि निर्माण से पहले सुप्रीम कोर्ट की आज्ञा लेनी चाहिए.

केंद्र सरकार द्वारा अयोध्या विवादित जमीन मामले में सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई नई अर्जी को यूपी शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने एक अच्छी पहल बताते हुए कहा है कि अगर इस अर्जी पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट विवादित जमीन से अलग अधिग्रहित की गई जमीन से स्टे वापस ले लेता है तो वहां बहुत जल्द भव्य राम मंदिर का निर्माण शुरू हो जाएगा.

सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने 67 एकड़ ज़मीन पर यथास्थिति बनाये रखने का आदेश दिया था. अब सरकार उसी आदेश में बदलाव की मांग कर रही है. दिलचस्प ये भी है कि सरकार ने इस अर्ज़ी में महज 0.313 एकड़ ज़मीन को विवादित माना है. बाकी ग़ैर विवादित जमीन को उनके मालिकों को वापस लौटाने की इजाज़त मांगी है. वही इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला 2.7 एकड़ जमीन को लेकर था.

वैसे इस 0.313 एकड़ विवादित ज़मीन के अलावा ग़ैरविवादित ज़मीन में से ज़्यादातर रामजन्मभूमि न्यास की है. ज़मीन मिलने पर निर्माण शुरू हो सकता है