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एग्जिट पोल 2017: अखिलेश ने मानी हार, दिए मायावती से गठबंधन के संकेत

समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने संकेत दिए हैं कि उत्तर प्रदेश चुनाव परिणामों मे यदि उन्हें या किसी भी दल को बहुमत नहीं मिलता है तो राष्ट्रपति शासन की जगह वो बहुजन समाज पार्टी अध्यक्ष मायावती से हाथ मिलाना पसद करेंगें।

Updated on: 10 Mar 2017, 09:38 AM

highlights

  • अखिलेश यादव ने बहुमत नहीं मिलने पर मायावती से गठबंधन के संकेत दिये
  • अखिलेश ने कहा, कोई नहीं चाहता है कि बीजेपी रिमोट कंट्रोल से सरकार चलाए
  • समाजवादी पार्टी प्रमुख ने कहा, कोई नहीं चाहता की राज्य में राष्ट्रपति शासन लगे

नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर एग्जिट पोल के नतीजे आ चुके हैं। एग्जिट पोल में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। वहीं सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी और कांग्रेस दूसरे नंबर पर है। इस बीच उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बड़ा बयान दिया है।

समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने संकेत दिए हैं कि उत्तर प्रदेश चुनाव परिणामों मे यदि उन्हें या किसी भी दल को बहुमत नहीं मिलता है तो वो किसी गैर बीजेपी पार्टी से हाथ मिलाने पर खुले दिमाग से विचार कर सकते हैं। 

अखिलेश यादव ने बीबीसी बातचीत करते हुए कहा, 'कोई नहीं चाहता है कि बीजेपी रिमोट कंट्रोल से सरकार चलाए।' उन्होंने कहा कि कोई नहीं चाहता की राज्य में राष्ट्रपति शासन लगे। 

इसके बाद उनसे एक और सवाल किया गया कि क्या ऐसी परिस्थिति में जब उनके गठबंधन को क्लीयर मेजॉरिटी नहीं मिले तो क्या वो सरकार बनाने के लिये मायावती की मदद ले सकते हैं, तो उनका जवाब था कि जरूरत पड़ी तो इस संभावना को एक बार ज़रूर टटोलेंगे। क्योंकि वो नहीं चाहते कि बीजेपी किसी को समर्थन देकर ये लेकर रिमोट कंट्रोल से प्रदेश की राजनीति को हांके। 

मायावती के साथ जाने पर उन्होंने कहा, 'मैं बीएसपी नेता को आदरसूचक शब्द (बुआ) से संबोधित करता हूं। इससे अधिक अभी मैं कुछ और नहीं कह सकता।'

समाजवादी पार्टी के नेता नरेश अग्रवाल ने भी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की बात को दोहराया।

उन्होंने कहा कि बीजेपी को रोकने के लिये हर कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने भी बीएसपी का नाम नहीं लिया, लेकिन बीजेपी को रोकने के लिये राज्य में एक ही दल है वो है बीएसपी। जाहिर है कि इशारों में ही बीएसपी के साथ जाने की बात कर रहे हैं।

अधिकांश एग्जिट पोल में किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत मिलता नहीं दिखाया गया है। यानी, राज्य में त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति बन सकती है।

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एबीपी-लोकनीति-सीएसडीएस के सर्वे के अनुसार, भाजपा को 164 से 176 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है, जबकि समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस के गठबंधन को 156 से 169 सीटें मिलने का अनुमान है।

एबीपी के सर्वे में बसपा को 60 से 72 सीटें मिलती दिखाई गई हैं, जबकि अन्य के हिस्से में दो से छह सीटें जा सकती हैं।

टाइम्स नाऊ-वीएमआर के सर्वे के मुताबिक भाजपा को 190 से 210 सीटें जीत सकती है। यही एक सर्वे है जिसमें भाजपा को बहुमत का आंकड़ा छूते दिखाया गया है। इसके अनुसार, सपा-कांग्रेस को 110 से 130 सीटें और बसपा को 57 से 74 सीटें मिल सकती हैं। अन्य के हिस्से आठ सीटें जा सकती हैं।

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इंडिया न्यूज-एमआरसी के सर्वे की बात करें तो भाजपा को 185 सीटों पर जीत मिल सकती है। सत्तारूढ़ सपा और कांग्रेस के गठबंधन को 120 सीटें मिलने का अनुमान व्यक्त किया गया है। बसपा को इस सर्वे में 90 सीटें मिलने के आसार जताए गए हैं, जबकि अन्य उम्मीदवार आठ सीटों पर जीत सकते हैं।

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इंडिया टीवी-सी वोटर के एग्जिट पोल में कहा गया है कि भाजपा 155 से 167 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बन सकती है। सपा-कांग्रेस को 133 से 147 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है, जबकि बसपा को 81 से 93 सीटों पर जीत मिल सकती है। आठ से 20 सीटों पर अन्य दलों के उम्मीदवारों को जीत मिल सकती है।