खूनी सड़क बना आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे, तीन महीने में हुए 402 हादसे, 36 ने गंवाई जान
देश के बड़े एक्सप्रेस-वे में शुमार आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे हादसों का एक्सप्रेस-वे बन गया है. आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर प्रतिदिन औसतन 4 सड़क हादसे होते हैं.
highlights
- 3 महीने के भीतर 402 सड़क हादसे हुए
- इन हादसों में 222 लोग घायल हो गए
- हाई स्पीड में चलने के कारण बढ़ रहे हादसे
आगरा:
देश के बड़े एक्सप्रेस-वे में शुमार आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे हादसों का एक्सप्रेस-वे बन गया है. आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर प्रतिदिन औसतन 4 सड़क हादसे होते हैं. अब एक्सप्रेस-वे पर रफ्तार का रोमांच लोगों के सफर को खूनी बना रहा है. यह हम नहीं कह रहे हैं बल्कि हाल में यूपीडा द्वारा आगरा के आरटीआई एक्टिविस्ट को उपलब्ध कराए गए हादसों के आंकड़े यह खुलासा कर रहे हैं.
बीते 20 माह में आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर 2,368 सड़क हादसे हुए, जिनमें 227 लोगों की मौत हो गई. इसके साथ ही इन सड़क हादसों में सैकड़ों की संख्या में लोग घायल हुए, जिनमें से कई ऐसे लोग भी हैं, जो अभी तक ठीक से चल फिर भी नहीं पा रहे हैं और दिव्यांगता का दंश झेलने के लिये मजबूर हैं.
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सूबे में 302 किमी लंबा आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे आगरा और लखनऊ की लाइफलाइन बन गया है. मगर रफ्तार के रोमांच में एक्सप्रेस-वे हादसों के चलते मौत का सफर बन रहा है. जनवरी 2019 से मार्च 2019 तक फर्राटा दौड़ते वाहनों के टायर पंक्चर, हाई स्पीड, ओवरटेक, ड्राइवर के नींद आने सहित अन्य कारणों से 402 सड़क हादसे हुए. इसमें 222 लोग घायल हो गये जबकि 36 लोगों की मौत हो गयी.
उप्र एक्सप्रेसवेज औद्योगिक विकास प्राधिकरण, लखनऊ (यूपीडा) ने सूचना अधिकार अधिनियम के तहत अधिवक्ता आरटीआई एक्टिविस्ट केसी जैन को एक्सप्रेस-वे पर 20 माह में सड़क हादसों की जानकारी दी है. आरटीआई एक्टिविस्ट केसी जैन ने बताया कि 20 माह में 2368 सड़क हादसों में 227 लोगों की मौत हुई.
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आंकड़ों के मुताबिक, एक्सप्रेस-वे पर औसतन प्रतिदिन 4 सड़क हादसे हुए और हर तीसरे दिन में 1 व्यक्ति की मौत हुई. उन्होंने बताया कि आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे 302 किमी लंबा है. आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर 10 और स्थानों पर कैमरे लगाए जा रहे हैं. वहीं 165 कि.मी. लंबे यमुना एक्सप्रेस-वे पर 10 स्थानों पर कैमरे लगाए गए हैं.
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आरटीआई एक्टिविस्ट केसी जैन का कहना है कि आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे के बाईं और दाईं ओर मात्र 5-5 कैमरे लगाया जाना पूरी तरह से नाकाफी है. 60-60 किमी की दूरी पर कैमरे लगाने की जगह ये कैमरे अधिक से अधिक 20-20 किमी की दूरी पर लगने चाहिए थे. यही नहीं, इन कैमरों को लगाने में भी यूपीडा के स्तर से बहुत देरी हुई है.
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यूपीडा ने आरटीआई में यह भी जबाव दिया है कि एक्सप्रेस-वे पर ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रीडर कैमरा व स्पीड रिकॉर्ड करने वाले कैमरे और संयंत्रों का कार्य अभी प्रगति पर है. इस एडवांस्ड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम की लागत 29.60 करोड़ रुपये है, जिसमें 10 स्थानों पर ऑटोमेटिक नंबरप्लेट रीडर कैमरे लग रहे हैं. यह कार्य जून-2019 तक पूरा हो सकता है.
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सड़क पर चलने वाले यात्रियों का कहना है कि दुघर्टनाओं पर अंकुश लगाने के लिए कुछ कड़े कदम उठाने चाहिए. आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर 10 स्थानों से बढ़ाकर 20 स्थानों पर कैमरे लगाए जाएं, भविष्य में कोई भी एक्सप्रेस-वे तब तक शुरू न किया जाए, जब तक वहां गति उल्लंघन रोकने के लिए ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रीडर कैमरे व स्पीड कैमरों की सुचारू व्यवस्था न हो. गति उल्लंघन करने वाले वाहनों को चालान के संबंध में समस्त कार्रवाई टोल संचालनकर्ता मैसर्स ईगल इन्फ्रा इंडिया लिमिटेड द्वारा ही की जाए.
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