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कौन बनेगा मुख्यमंत्री: अगर राजनाथ सिंह नहीं तो बीजेपी से क्या ये संभालेंगे यूपी की कमान

यूपी का सीएम कौन होगा इसका ऐलान 16 मार्च को किया जाएगा। उल्‍लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश बीजेपी का प्रचंड बहुमत मिला है। यूपी की 404 सीट में 325 सीट बीजेपी को मिली हैं।

Updated on: 16 Mar 2017, 09:56 AM

नई दिल्ली:

यूपी का सीएम कौन होगा इसका ऐलान 16 मार्च को किया जाएगा। उल्‍लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिला है। यूपी की 403 सीट में 325 सीट बीजेपी को मिली हैं। अब राज्य का मुख्यमंत्री चुनना है। कई नेताओं के नाम सामने आ रहे हैं।

पार्टी चाहेगी कि ऐसे व्यक्ति को राज्य की कमान सौंपी जाए जो 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी की लहर को फीकी नहीं पड़ने दे। इस रेस में राजनाथ सिंह सबसे आगे बताए जा रहे हैं लेकिन राजनाथ सिंह ने इसे फालतू बात कह कर टाल दिया है। उनसे जब सीएम पद के दावेदारी को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा,' ऐसा कुछ नहीं है, ये फालतू बात है।'

राजनाथ सिंह के इस बयान के बाद अब फिर कयास लगने लगे हैं कि अगर उत्तर प्रदेश में राजनाथ सिंह सीएम नहीं हुए तो कौन होगा। बीजेपी के दिग्गज नेता सतीश महाना के नाम पर चर्चा गरम हो गया है। राजनाथ सिंह के बयान के तुरंत बाद महाना को पार्टी आलाकमान ने मिलने के लिए बुलाया था। ऐसे में कयास लग रहे हैं कि हो सकता है वही पार्टी के अगले मुख्यमंत्री हो।

कौन हैं सतीश महाना

सतीश महाना कानपुर के महराजपुर से विधायक चुने गए हैं। इससे पहले बीजेपी के टिकट पर 6 बार विधायक चुने जा चुके हैं। वह उत्तर प्रदेश बीजेपी सरकार के दौरान कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं। महाना प्रधान मंत्री मोदी के करीबी भी माने जाते हैं।

अगर सतीश महाना नहीं तो क्या है बीजेपी के पास विकल्प

केशव प्रसाद मौर्य
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह कई बार कह चुके हैं कि उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री साफ-सुथरी छवि वाला और उत्तर प्रदेश से जुड़ाव रखने वाला होगा। केशव प्रसाद मौर्य पर ये दोनों बात फिट बैठती है। अगर महाराष्ट्र चुनाव के फार्मुले को देखा जाए तो वहां पर जीत का श्रेय प्रदेश अध्यक्ष देवेन्द्र फडणवीस को मिला था। साथ ही उनकी छवि भी काफी साफ सुथरी थी इस नाते भी उन्हें बेहतर परिणाम के बदले में सीएम पद दिया गया।

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दिनेश शर्मा
लखनऊ के मेयर और बीजेपी नेता दिनेश शर्मा यूपी के उन गिने चुने नेताओं में से हैं, जिन्हें पार्टी के अच्छे दिनों में सबसे ज्यादा इनाम मिला। अमित शाह भी उन्हें काफी पसंद करते हैं। वे कल्याण सिंह और कलराज मिश्र के भी खास हैं। साल 2006 में अटल बिहारी बाजपेयी ने अपना आखिरी भाषण भी दिनेश शर्मा को चुनाव जिताने के लिए दिया था। ऐसे में दिनेश शर्मा एक सरप्राइजिंग एलिमेंट हो सकते हैं।

मनोज सिन्हा
रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा ने इस यूपी चुनाव के दौरान काफी प्रचार किया है। उन्होंने पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र में अहम भूमिका निभाई थी। इसके अलावा मनोज सिन्हा के पूर्वांचल से आने की वजह से भी उनके मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल होने की संभावनाएं अधिक हैं।

अमित शाह और नरेंद्र मोदी इससे पहले भी सिन्हा को बड़ी जिम्मेदारी के लिए चुनते रहे हैं। पीएम मोदी कई बार सार्वजनिक मंच से भी बतौर रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा के काम-काज की तारीफ कर चुके हैं। दूसरी बात मनोज सिन्हा उस पूर्वांचल से आते हैं, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सबसे ज्यादा फोकस रहता है। साथ ही वो गृहमंत्री राजनाथ सिंह के करीबी भी माने जाते रहे हैं।

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योगी आदित्यनाथ
भारतीय जनता पार्टी के फायरब्रांड नेता योगी आदित्यनाथ ने इस चुनाव में काफी प्रचार किया है। हालांकि, वे हमेशा ही कहते रहे हैं कि पार्टी जिसे मुख्यमंत्री बनाएगी, वो ही यूपी का सीएम बनेगा। बीजेपी ने उन्हें इस चुनाव में स्टार प्रचारक भी बनाया था।। विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी ने उनसे पश्चिमी यूपी में जमकर प्रचार कराया। बता दें कि इससे पहले आदित्यनाथ पूर्वांचल तक ही सीमित थे। आदित्यनाथ ने बीजेपी स्टार प्रचारक के रूप में सबसे ज्यादा रैलियां की हैं।

विधानसभा चुनाव में गोरखपुर से सांसद योगी आदित्यनाथ की सक्रियता और कथित तौर पर उग्र हिन्दूवादी छवि को देखते हुए उनका नाम भी इस रेस में है, लेकिन जानकार कहते हैं कि तमाम ऐसी वजहें भी हैं जिनकी वजह से योगी आदित्यनाथ की दावेदारी कमज़ोर हो जाती है। मौजूदा राजनीतिक परिस्थिति में उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ बीजेपी के इकलौते फायर ब्रांड नेता हैं। 

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