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प्लास्टिक के कचरे से बनेगी सड़क, रिलायंस इंडस्ट्रीज ने NHAI को तकनीक देने की पेशकश की

रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries) ने रायगढ़ जिले स्थित अपने नागोथाने विनिर्माण संयंत्र में इस प्रौद्योगिकी का परीक्षण किया है. इसके अलावा वह कई और पायलट परियोजनाओं पर काम कर रही है.

Updated on: 30 Jan 2020, 10:44 AM

रायगढ़:

उद्योगपति मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries) ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) को अपनी ‘प्लास्टिक अपशिष्ट से सड़क’ निर्माण की प्रौद्योगिकी देने की पेशकश की है. इस प्रौद्योगिकी से सड़क निर्माण में प्लास्टिक का इस्तेमाल किया जा सकेगा. कंपनी ने रायगढ़ जिले स्थित अपने नागोथाने विनिर्माण संयंत्र में इस प्रौद्योगिकी का परीक्षण किया है. इसके अलावा वह कई और पायलट परियोजनाओं पर काम कर रही है.

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करीब 40 किलोमीटर लंबी सड़क बनाई
कंपनी ने अपने संयंत्र में 50 टन प्लास्टिक अपशिष्ट को कोलतार के साथ मिलाकर करीब 40 किलोमीटर लंबी सड़क बनायी है. कंपनी के पेट्रोरसायन कारोबार के मुख्य परिचालन अधिकारी विपुल शाह ने कहा कि पैकेटबंद सामानों के खाली पैकेट, पॉलीथीन बैग जैसे प्लास्टिक अपशिष्ट का इस्तेमाल सड़क निर्माण में करने की प्रणाली विकसित करने में हमें करीब 14 से 18 महीने का वक्त लगा. हम इस अनुभव को साझा करने के लिए एनएचएआई के साथ बाचतचीत कर रहे हैं, ताकि सड़क निर्माण में प्लास्टिक अपशिष्ट का उपयोग किया जा सके. एनएचएआई के अलावा रिलायंस इंडस्ट्रीज देशभर में राज्य सरकारों और स्थानीय निकायों को भी यह प्रौद्योगिकी सौंपने के लिए बातचीत कर रही है.

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कंपनी की यह प्रौद्योगिकी ऐसे प्लास्टिक अपशिष्ट के लिए विकसित की गयी है जिसका पुनर्चक्रण संभव नहीं है. इस अपशिष्ट के सड़क निर्माण में उपयोग से होने वाले लाभ के बारे में शाह ने कहा कि यह ना सिर्फ प्लास्टिक के सतत उपयोग को सुनिश्चित करेगा, बल्कि वित्तीय तौर पर लागत प्रभावी भी होगा. उन्होंने कहा कि हमारा अनुभव बताता है कि इस प्रौद्योगिकी से एक किलोमीटर लंबी सड़क बिछाने में एक टन प्लास्टिक अपशिष्ट का उपयोग होता है.

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इससे हमें एक लाख रुपये बचाने में मदद मिलती है और इस तरह हमने 40 लाख रुपये बचाए हैं. सड़क निर्माण में कोलतार के आठ से दस प्रतिशत तक उपयोग के विकल्प के तौर पर हम इस प्लास्टिक अपशिष्ट का उपयोग कर सकते हैं. इतना ही नहीं यह सड़क की गुणवत्ता को भी बढ़ाता है. इस प्रौद्योगिकी से सड़क निर्माण में दो महीने का समय लगा. साथ ही इस प्रणाली से बनी सड़क पिछले साल की मानूसनी बारिश में भी खराब नहीं हुई.