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रेलवे यूनियन से जुड़े 50 हजार कर्मचारियों के भविष्य पर संकट के बादल, घट सकती हैं ये सुविधाएं

Indian Railway-IRCTC: मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रेल मंत्रालय यूनियन के पदाधिकारियों को मिलने वाली सुविधाओं में कटौती के साथ ही 55 वर्ष पार कर्मचारियों को VRS देने पर विचार कर रहा है.

Updated on: 11 Dec 2019, 11:39 AM

नई दिल्ली:

Indian Railway-IRCTC: भारतीय रेलवे से जुड़े यूनियनों के हजारों पदाधिकारियों के भविष्य पर संकट के बादल गहरा गए हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रेल मंत्रालय इन पदाधिकारियों को मिलने वाली सुविधाओं में कटौती के साथ ही 55 वर्ष पार कर्मचारियों को VRS देने पर विचार कर रहा है. बता दें कि रेलवे मंत्रालय द्वारा हाल ही में परिवर्तन संगोष्ठी का आयोजन किया गया था. इस संगोष्ठी में यूनियन के पदाधिकारियों के पर को कतरने पर आम सहमति बनी थी.

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देशभर में मौजूदा समय में करीब 50,000 पदाधिकारी
संगोष्ठी में यह बात सामने आई है कि रेलवे के लगभग सभी डिवीजन में करीब 250 पदाधिकारी हैं इस हिसाब से देशभर इन पदाधिकारियों की संख्या 50,000 के आस-पास बैठती है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रेलवे का मानना है कि इन पदाधिकारियों का बतौर कर्मचारी रेलवे के लिए योगदान काफी कम है. हालांकि ये सभी पदाधिकारी भरपूर सुविधाएं रेलवे से उठा रहे हैं.

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रेल मंत्रालय का आकलन है कि यह सभी पदाधिकारी रेलवे पर बोझ बने हुए हैं और इन सभी कर्मचारियों से कार्य कराना काफी मेहनतभरा है. रेलवे का कहना है कि इन सब वजहों से भी रेलवे की उत्पादकता काफी प्रभावित हो रही है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यही वजह है कि रेलवे इन पदाधिकारियों की सुविधाओं में कटौती के साथ ही 55 साल पार कर चुके कर्मचारियों को VRS देने पर भी विचार कर रहा है.

रेलवे का कहना है कि सुपरवाइजर के पद पर तैनात कर्मचारी किसी भी यूनियन का पदाधिकारी नहीं होना चाहिए. रेलवे का मानना है कि ऐसे किसी भी कर्मचारी को या तो यूनियन का पद या सुपरवाइजर के पद का चुनाव करना होगा, या फिर VRS लेना होगा. रेलवे का कहना है कि इस तरह के फैसलों से रेलवे की उत्पादकता में बढ़ोतरी हो सकती है. इसके अलावा कर्मचारियों का बोझ कम होने की वजह से खर्चों पर भी लगाम लगेगा.

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30 फीसदी तक कर्मचारियों की संख्या घटाने पर हुई चर्चा
परिवर्तन संगोष्ठी में यह बात भी सामने आई है कि कर्मचारियों पर रेलवे 60 फीसदी से ज्यादा खर्च करता है जो कि काफी ज्यादा है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रेलवे का मानना है कि इसलिए कर्मचारियों की संख्या में कटौती जरूरी हो गई है. हालांकि इसे चरणबद्ध तरीके से लागू करने की जरूरत है. रेलवे का कहना है कि पहले चरण में यानि कि 3 साल की भीतर 10 फीसदी कर्मचारियों को कम करना चाहिए. इस प्रक्रिया के बाद इस संख्या को बढ़ाकर 30 फीसदी तक लाया जाना चाहिए. हालांकि संगोष्ठी में कर्मचारियों की संख्या को 50 फीसदी तक भी घटाने का प्रस्ताव आया था.