Corona Tragedy: कांपते-कराहते पैदल पहुंचे अपने गांव, लेकिन गांव वालों ने घुसने नहीं दिया
पश्चिम बंगाल में इसी से जुड़ा एक बेहद ही असंवेदनशील मामला सामने आया है. बंगाल के पुरुलिया जिले में मानवता को शर्मसार कर देने वाली तस्वीर देखने को मिली. यहां दूर शहर से आए लोगों को गांव में घुसने नहीं दिया जा रहा है.
नई दिल्ली:
इन दिनों पूरी दुनिया पर कोरोना वायरस कहर ढा रहा है और काल बनकर लोगों की जान ले रहा है. वहीं भारत में इस महामारी से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे देश में लॉकडाउन लगा दिया था. लेकिन लॉकडाउन के बाद से ही देश में एक दूसरा वर्ग ऐसा था जो इस फैसले के बाद से बैचेन हो गया था. वो वर्ग गरीब-मजदूर और रोजी-रोटी कमाने वालों का था. लॉकडाउन के बाद से ही सभी गरीब तबका कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए भी अपने घर की तरफ निकल पड़े. ये लोग पैदल और अन्य जुगाड़ के साथ अपने गांव, शहर पहुंच रहे है.
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पश्चिम बंगाल में इसी से जुड़ा एक बेहद ही असंवेदनशील मामला सामने आया है. बंगाल के पुरुलिया जिले में मानवता को शर्मसार कर देने वाली तस्वीर देखने को मिली. यहां दूर शहर से आए लोगों को गांव में घुसने नहीं दिया जा रहा है.
पुरुलिया जिले के कई गांवों में बाहरी लोगों के प्रवेश को प्रतिबंधित करने के लिए बैरिकेड्स लगाए गए हैं. इसके साथ ही ये भी ऐलान किया जा रहा है कि जो भी शहरों से लौटें है वो जरूरी सावधानी बरतें और अपने घरों में ही रहे.
West Bengal: In many villages in Purulia district, barricades have been put up to restrict entry of outsiders & announcements are being made asking people, who returned from cities, to take necessary precautions & stay at home. #CoronavirusLockdown pic.twitter.com/H3ZBjuy9de
— ANI (@ANI) March 29, 2020
गौरतलब है कि मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस संक्रमण से लड़ाई में देश भर में लॉकडाउन की घोषणा की थी. इसके अगले ही दिन से दिल्ली समेत देश के बड़े शहरों में पढ़ाई करने और दो वक्त की रोटी कमाने आए मजदूरों में बेचैनी साफ देखी जा रही थी. इस वर्ग का संयम अंततः टूट गया और वह दसियों हजार की संख्या में सैकड़ों किलोमीटर दूर अपने-अपने घरों की ओर पैदल ही निकल लिए. पता चला कि इसकी प्रमुख वजह यही थी कि रोजगार पर ताला पड़ने से उनके समक्ष जिंदा रहने का तो सवाल खड़ा ही हो गया था. इसके साथ ही उनके मालिकों ने वेतन-भत्ते देने से इंकार कर दिया था, तो मकान मालिकों ने उन्हें घर खाली करने का फतवा जारी कर दिया था. ऐसे में इनके पास घर वापसी के अलावा कोई विकल्प ही नहीं बचा था.
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